नयी दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ ङ्क्षसह ने जर्मनी की कंपनियों से भारत में रक्षा क्षेत्र में निवेश का आह्वान करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के रक्षा गलियारों के दरवाजे इन कंपनियों के लिए खुले हैं। ङ्क्षसह ने मंगलवार को यहां जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान यह बात कही। दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा की और विशेष रूप से रक्षा औद्योगिक साझेदारी को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की।
ङ्क्षसह ने इससे पहले सोमवार को ही अमेरिकी रक्षा मंत्री के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता की थी। रक्षा मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारों में जर्मन कंपनियों द्वारा निवेश की संभावनाओं सहित रक्षा उत्पादन क्षेत्र में अपार अवसर हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग जर्मन रक्षा उद्योग में आपूर्ति श्रृंखलाओं में हिस्सा ले सकता है और आपूर्ति श्रंखला को मजबूत बनाने में योगदान देने के अलावा संबंधित इकोसिस्टम में भी सहयोग कर सकता है। ङ्क्षसह ने जोर देकर कहा कि भारत और जर्मनी साझा लक्ष्यों और परस्पर मजबूती के लिए साझेदारी पर आधारित संबंध बना सकते हैं। उन्होंंने कहा कि दोनों देश कुशल कार्यबल और प्रतिस्पर्धी लागत, उच्च तकनीक और निवेश के मामले में एक दूसरे के पूरक बन सकते हैं। दोनों देशों के बीच वर्ष 2000 से रणनीतिक साझेदारी है जिसे सरकार के स्तर पर 2011 से अंतर-सरकारी परामर्श के माध्यम से मजबूत किया जा रहा है। दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान सहित रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। जर्मनी की ओर से वहां के रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और भारत में जर्मनी के राजदूत ने हिस्सा लिया। वर्ष 2015 के बाद से किसी जर्मन रक्षा मंत्री की यह पहली भारत यात्रा है। द्विपक्षीय बैठक से पहले जर्मनी के रक्षा मंत्री को तीनों सेनाओं की ओर से सलामी गारद पेश की गयी।