इस्लामाबाद
पाकिस्तान दौरे पर आई अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की टीम के यहां पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल से मिलने के फैसले ने सत्ताधारी गठबंधन में बेचैनी पैदा कर दी है। जिस समय पाकिस्तान का एस्टैब्लिशमेंट (सेना+ खुफिया नेतृत्व) और सत्ताधारी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) इमरान खान को राजनीतिक रूप से खत्म करने की कोशिशों को आगे बढ़ा रहा है, आईएमएफ टीम के इस निर्णय को महत्त्वपूर्ण माना गया है। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता हम्माद अजहर ने शुक्रवार देर रात यह सूचना सार्वजनिक की कि आईएमएफ की टीम लाहौर में इमरान खान के निवास पर गई। वहां आईएमएफ की टीम ने पूर्व प्रधानमंत्री को हाल में पाकिस्तान सरकार के साथ कर्ज की किस्तें जारी करने के लिए हुए स्टाफ लेवल समझौते की पूरी जानकारी दी। इस समझौते के तहत पाकिस्तान को कुल तीन बिलियन डॉलर का ऋण मिलना है।यह समझौता 29 जून को संपन्न हुआ था। लेकिन इस पर अमल आईएमएफ के बोर्ड की मंजूरी मिलने का बाद होगा। वैसे समझौता हो जाने से पाकिस्तान के आर्थिक हलकों में राहत महसूस की गई है। आईएमएफ टीम के साथ बातचीत में इमरान खान ने इस समझौते को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया। इससे यह संभावना मजबूत हो गई है कि आईएमएफ का बोर्ड कर्ज जारी करने को मंजूरी दे देगा।समझा जाता है कि आईएमएफ की टीम यह आश्वासन चाहती थी कि अगर अगले आम चुनाव के बाद पीटीआई सत्ता में आई, तो वह आईएमएफ के साथ शहबाज शरीफ सरकार के हुए समझौते का पालन करेगी। शुक्रवार को दिन में आईएमएफ की तरफ से कहा गया था कि उसकी टीम पाकिस्तान के सभी राजनीतिक दलों से संपर्क करेगी, ताकि स्टाफ लेवल करार के मुख्य उद्देश्यों पर उनकी सहमति हासिल की जा सके।इमरान खान के निवास पर हुई बातचीत में पीटीआई के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। उसके बाद पीटीआई की तरफ से हम्माद अजहर ने ट्विटर पर पार्टी का बयान जारी किया।
इसमें कहा गया- ‘हम आईएमएफ से हुए करार का स्वागत करते हैं, ताकि विदेशी वित्त की सहायता से देश में आर्थिक स्थिरता की रक्षा की जा सके।’लेकिन इसके साथ ही पीटीआई ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान में आर्थिक स्थिरता बरकरार रखने की अनिवार्य शर्त देश में राजनीतिक स्थिरता और कानून के राज के सिद्धांत पर पालन है।