नई दिल्ली। हाल ही में, पुरस्कार वापसी की घटनाओं ने देश को झकझोर दिया है। इस चिंताजनक परिघटना को रोकने के लिए, संसदीय समिति ने सरकार को महत्वपूर्ण सिफारिश की है। समिति ने कहा कि पुरस्कार प्रदान करने से पहले, प्राप्तकर्ता से एक प्रतिबद्धता पत्र लिया जाए कि वह भविष्य में पुरस्कार वापस नहीं करेगा। यह उनको राजनीतिक कारणों से पुरस्कार लौटाने से रोकेगा।पिछले कुछ वर्षों में, कई प्रसिद्ध हस्तियों ने विरोध-प्रदर्शन के दौरान अपने पुरस्कार लौटाए हैं। 2015 में, कलबुर्गी की हत्या के बाद कई लेखकों ने अपने सम्मान वापस किए थे। हाल ही में, मणिपुर के एथलीटों ने भी पुरस्कार लौटाने की धमकी दी है। इसे देश का अपमान बताते हुए, समिति ने कहा कि पुरस्कार लौटाना विरोध का एक तरीका बनता जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को वास्तविक मुद्दों को हल करने पर जोर देना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं न हों। समिति ने साफ किया कि पुरस्कार देने वाली संस्थाएं गैर-राजनीतिक होती हैं और राजनीति के लिए उनमें कोई जगह नहीं है। ऐसा करने वालों को किसी भी निर्णायक पद पर नहीं रखा जाना चाहिए। इस प्रकार, यह सिफारिश पुरस्कार वापसी की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगा सकती है। प्राप्तकर्ता की ओर से पूर्व प्रतिबद्धता लेना एक सकारात्मक कदम है जो भविष्य में इस विवादास्पद चर्चा को टाल सकता है।