- महज दस दिनों में 30 विधेयकों को पहनाना है कानूनी जामा
नई दिल्ली
संसद में खींचतान के बीच सरकार विधायी कार्य निपटाने के प्रति सक्रिय है। बीते दो दिन में लोकसभा में चार व राज्यसभा में एक विधेयक पारित कराए गए हैं। सरकार का मानना है कि चुनावी मजबूरी में विपक्ष कार्यवाही बाधित कर रहा है। ऐसे में अगर कामकाज नहीं निपटाए, तो नीतिगत बदलावों के लिए अहम करीब डेढ़ दर्जन बिल को कानून बनाने के लिए शीतकालीन सत्र तक इंतजार करना होगा। सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि सात कार्य दिवस में महज एक सिनेमेटोग्राफी विधेयक को दोनों सदनों की मंजूरी मिली है, जबकि सरकार के एजेंडे में 31 विधेयक हैं। सरकार के पास महज दस कार्य दिवस बचे हैं। अगले हफ्ते संभवत: दो दिन अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में बीतेगा। ऐसे में लोकसभा में सरकार के पास बस आठ कार्य दिवस बचेंगे।31 विधेयकों में से करीब डेढ़ दर्जन ऐसे विधेयक हैं जो बड़े नीतिगत बदलाव से जुड़े हैं। इनमें सिनमेटोग्राफी विधेयक को ही दोनों सदनों की मंजूरी मिली है। जबकि खान-खनिज विकास, नेशनल नर्सिंग आयोग समेत पांच विधेयकों को ही लोकसभा की मंजूरी मिली है। अभी दिल्ली अध्यादेश, डाटा संरक्षण, पोस्टल सर्विसेज, ड्रग्स मेडिकल डिवाइसेज, प्राचीन स्मारक पुरातात्विक स्थल अवशेष, डीएनए तकनीक रेगुलेशन विधेयक जैसे कई अहम विधेयक ठंडे बस्ते में ही हैं। यही कारण है कि सरकार अब किसी भी कीमत पर तेजी से विधायी कामकाज निपटाने में जुट गई है। अगले साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव होने के कारण सरकार और विपक्ष दोनों की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं। सरकार की रणनीति अहम विधेयकों को कानूनी जामा पहना कर देश में जरूरी नीतिगत बदलाव लाने वाली सरकार की छवि बनाने की है। जबकि विपक्ष मणिपुर हिंसा के बहाने सरकार को अकर्मण्य और असंवेदनशील साबित करना चाहती मानसून सत्र के दूसरे सप्ताह का अंतिम दिन भी मणिपुर मुद्दे की भेंट चढ़ गया। विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने सदन को बताया कि दिल्ली अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक को अगले सप्ताह लोकसभा में पेश किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली अध्यादेश से जुड़े विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी थी।