दिल्ली के बारे में सोचें, गठबंधन के बारे में नहीं, अमित शाह जी को आज शक्कर-शहद खिलाने का कर रहा मन : अधीर रंजन
नई दिल्ली (वी.एन.झा)
लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल को लेकर गुरुवार को बहस हुई। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली सरकार और ढ्ढहृष्ठढ्ढ्र गठबंधन पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग का कोई मामला नहीं है। दिल्ली में जो मामला है वो ये है कि इसके बहाने विजिलेंश विभाग को अपने अधीन लेना है। ताकि उनके भ्रष्टाचार को उजागर नहीं किया जा सके। मैं तो साफ कह रहा हूं कि जो भी पार्टियां इस समय दिल्ली सरकार के साथ खड़ी हैं वो भ्रष्टाचारियों के साथ खड़े हैं। लेकिन जनता सब देख रही है। मैं इन पार्टियों से कहना चाहता हूं कि आप दिल्ली के बारे में सोचें अपने गठबंधन के बारे में नहीं। क्योंकि चाहे आप कुछ भी कर लें कोई भी गठबंधन बना लें, कोई भी नाम बदल लें लेकिन अगले चुनाव में नरेंद्र मोदी ही एक बार फिर पीएम बनकर आने वाले हैं। जनता ने अपना मन पहले ही बना लिया है। अमित शाह ने कहा कि मैं इस बिल को लेकर पहल आपको कुछ बताना चाहता हूं। दिल्ली को लेकर अनुच्छेद 239 से 242 इकी कार्यनीति को संवधान में वर्णित किया है। अनुच्छेद 239 एक में विशेष प्रावधान किया गया है दिल्ली विधानसभा सहित एख संघ शासित प्रदेश है। तो दिल्ली ना तो पूर्ण राज्य है। ये राजधानी क्षेत्र है इसे ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद 239ए में एक विशेष बात की गई है। कहा गया कि भारत को सरकार को इसके बारे में कानून बनाने का अधिकार नहीं है। मैं इस सदन का अनुचेछ्द 239एए 3 बी में कहा गया है कि इस संसद को दिल्ली संघ राज्य या इसके किसी भाग के बारे में उससे संबंधित किसी भी विशष में कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है। अमित शाह ने कहा कि दिल्ली विधेयक पर बात करूं तो दिल्ली की स्थापना 1911 में किया गया था। इसको पंजाब प्रांत से अलग करके बनाया गया। आजादी के बाद सीतारमैय्या समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी। हालांकि, यह सिफारिश जब संविधान सभा के सामने आई तो पंडित नेहरू, सरदार पटेल , राजा जी, राजेंद्र प्रसाद और अंबेडकर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया और कहा कि ये उचित नहीं होगा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। अमित शाह का भाषण सुनकर अधीर रंजन चौधरी सहित तमाम कांग्रेस सांसद जमकर उत्साहित नजर आए। इसी बीच अधीर रंजन चौधरी ने जवाब देते हुए कहा कि अमित शाह ने जवाहरलाल नेहरू की तारीफ की। यह सुनकर ऐसा लगा कि दौड़कर जाऊं और अमित शाह को शक्कर और शहद खिला दूं।
45 साल से शादीशुदा हूं, कभी गुस्सा नहीं करता : धनखड़
राज्यसभा में शुक्रवार को कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने नियम 267 के तहत मणिपुर पर चर्चा की मांग की है। इस दौरान राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बीच हुए बहस में हंसी-मजाक भी देखने को मिली। खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ को लेकर कहा कि आप गुस्सा हो गए। इसके जवाब में जगदीप धनखड़ ने कहा, च्च्मैं 45 साल से शादीशुदा आदमी हूं। मैं कभी गुस्सा नहीं करता हूं।ज्ज् सभापति की इस बात पर राज्यसभा में ठहाके लगे।
डेटा बिल संसद में पेश
केंद्र सरकार की तरफ से भारतीयों के डिजिटल अधिकारों को मजबूत करने को लेकर संसद में एक डेटा बिल लाया गया है। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 को लेकर विपक्षी सांसदों ने मांग किया कि इसे संसदीय पैनल के पास भेजा जाए। सरकार ने विपक्ष की मांग को ठुकरा दिया। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विधेयक पेश किया और उन दावों को खारिज कर दिया कि यह एक धन विधेयक है, जिसे उच्च सदन राज्यसभा के निरीक्षण को दरकिनार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक सामान्य विधेयक है।
मणिपुर हिंसा: विपक्ष ने कदम पीछे खींचे पर रखी पीएमके बयान वाली शर्त
संसद में गतिरोध को खत्म करने के लिए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे से पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी मिले हैं। इस मुलाकात में राज्यसभा के गतिरोध पर चर्चा हुई। विपक्ष का कहना है कि गतिरोध सुलझाने के लिए नियम 267 के तहत चर्चा की मांग छोड़ने को तैयार है। किसी अन्य नियम के तहत भी चर्चा हो सकती है। लेकिन पीएम को मणिपुर पर बयान देना होगा। विपक्ष यह भी चाहता है कि मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए समय और बढ़ाया जाए।
जब सांसदों ने नाराज ओम बिड़ला को मनाया
संसद के मॉनसून सत्र में हो रहे व्यवधानों पर नाराजगी जताने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी अध्यक्ष बिरला के पास लौटने की अपील करने के बाद उनके पास पहुंचे। गुरुवार को सदन स्थगित होने के बाद, अधीर चौधरी ने अन्य विपक्षी नेताओं के साथ लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की और उन्हें लोकसभा के कामकाज के संचालन में उनके सहयोग का आश्वासन दिया। इसके बाद दोपहर 2 बजे की कार्यवाही में ओम बिड़ला आसंदी पर बैठे।