- द्वारका में श्रावण मास में ‘गागर में सागर’ प्रवचन में बोले शंकराचार्य सदानंद सरस्वती
द्वारका। श्रावण मास में यहं चल रहे ‘गागर में सागरÓ’ प्रवचन में आज सोमवार को शारदापीठाश्वर शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा कि छोटा सा सुख पाने के लिए बहुत बड़ा पुरुषार्थ करना पड़ता है। एक महीना कठिन मेहनत के बाद हमें पारिश्रमिक सुख में धन मिलता है, फिर भी हमें सुख के बदले दुख ही मिलता है। जीवन का चक्र हमें धन के पीछे दौड़ाता है तो पता ही नहीं चलता कि धन हमारे लिए या हम धन के लिए हैं। शंकराचार्य ने कहा कि स्वजन कुटुंबीजन मित्र सब धन के कारण बैरी हो जाते हैं। माया के प्रभाव से बचना बहुत दुष्कर है। गुरु की शरण मिल जाये तो नारायण परमात्मा का स्वरूप हम जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह सारा संसार एक वृक्ष है और पूरे संसार का एकमात्र परमात्मा बीज है। उन्होंने कहा कि कर्म सबको करना पड़ता है। संकल्प रहित, अहंकार रहित निष्काम कर्म करने से हम कर्म के फल में लोपायमान होने से बच सकते हैं।