टोक्यो
चीनी सेना ने 2020 के अंत में जापान के गोपनीय रक्षा नेटवर्क से छेड़छाड़ किया। अमेरिकी मीडिया ने बुधवार को यह जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीपीए) के साइबर जासूसों ने जापान के सबसे संवेदनशील कंप्यूटर सिस्टम में अपनी पैठ बना ली थी। द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, तीन पूर्व वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी, जो साक्षात्कार लिए गए एक दर्जन वर्तमान और पूर्व अमेरिकी और जापानी अधिकारियों में से एक थे, ने कहा कि हैकर्स के पास रहस्यपूर्ण और लगातार पहुंच थी और ऐसा प्रतीत होता है कि वे किसी भी चीज के पीछे लगे हुए थे, जो उनके हाथ लग सकती थी जैसे- योजनाएं, क्षमताएं और सैन्य कमियों का आकलन। एक पूर्व अमेरिकी सैन्य अधिकारी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह बहुत बुरा और चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिकी सैन्य अधिकारी को उस घटना के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसकी पहले रिपोर्ट नहीं की गई।वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, जापान अपने नेटवर्क को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन उन्हें अभी भी बीजिंग की चुभती नजरों से पर्याप्त रूप से सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। अधिकारियों का कहना है कि यह पेंटागन और बीजिंग के रक्षा मंत्रालय के बीच अधिक खुफिया जानकारी साझा करने में बाधा उत्पन्न कर सकता है। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2020 की घुसपैठ इतनी परेशान करने वाली थी कि एनएसए (हृस््र) और अमेरिकी साइबर कमांड के प्रमुख जनरल पॉल नाकासोन और मैथ्यू पोटिंगर, जो उस समय व्हाइट हाउस के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे, जापान के रक्षा मंत्री को इसकी जानकारी देने के लिए टोक्यो दौड़ पड़े थे, वे इतने चिंतित थे कि उन्होंने स्वयं प्रधानमंत्री को सचेत करने की व्यवस्था की।जब यह सब हुआ तो जापानी हैरान रह गए, लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि वे इस मामले को देखेंगे। उस समय वॉशिंगटन राष्ट्रपति जो बाइडन की जीत का गवाह बन रहा था। जब बाइडन प्रशासन काम करने लगा, तो साइबर सुरक्षा और रक्षा अधिकारियों को एहसास हुआ कि समस्या बढ़ गई है। चीनी अभी भी टोक्यो के नेटवर्क में शामिल थे। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, तब से अमेरिकी जांच के तहत, जापानियों ने घोषणा की है कि वे नेटवर्क सुरक्षा बढ़ा रहे हैं। अगले पांच वर्षों में साइबर सुरक्षा बजट को दस गुना बढ़ा रहे हैं और अपने सैन्य साइबर सुरक्षा बल को चार गुना बढ़ाकर 4,000 कर रहे हैं।