- द्वारका में श्रावण मास में जारी हैं ‘गागर में सागर’ पर प्रवचन
द्वारका। यहां श्रावण मास में चल रहे ‘गागर में सागर’ प्रवचनों की शृंखला बुधवार को शारदापीठाधिश्वर शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा कि भगवान सबका उद्धार करने के लिए ही अवतार लेते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म का पालन करना चाहिए, जो अपने स्वाभाविक धर्म को भूल जाता है वह अपना सत्व खो देता है जैसे ब्राह्मण अपने धर्म को भूल जाता है उसका ब्राह्मणत्व चला जाता है। जिस घर में भगवान का भक्त जन्म लेता है, उसके पहले और बाद की सात पीढ़ियों का उद्धार अपने आप हो जाता है। शंकराचार्य ने कहा कि गजेंद्र हाथियों का राजा था, उसे अपनी ताकत पर घमंड था, वह शांति से खेल रहा था तभी मगरमच्छ उसे खींचने लगा। असहाय होकर, गजेंद्र ने खुद को मुक्त करने के लिए पूर्व-जन्म के संस्कारों से मदद के लिए भगवान को पुकारा और तुरंत भगवान दौड़ते हुए आए और उसे बचाया।
आनंदघन श्रीराम से मित्रता रखेंगे तो जीवन में कष्ट नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि संस्कारों को जीवित रखने के लिए परंपराओं का पालन करना चाहिए, विपत्ति में प्रभु का स्मरण हमारी रक्षा करता है। विपत्ति के समय गजेंद्र ने हरिस्मरण का जाप किया और भगवान प्रकट हो गए। उन्होंने का कि जब तक हम धन, शक्ति और ऐश्वर्य पर निर्भर रहते हैं, तब तक भगवान याद नहीं आते और अंत में जब हम मुक्ति की गुहार लगाते हैं, तो दयालु भगवान मदद के लिए दौड़े चले आते हैं।