- श्रावण मास में जारी है ‘गागर में सागर’ पर प्रवचन
द्वारका । श्रावण मास में चल रहे ‘गागर में सागर’ प्रवचन की शृंखला में शारदापीठाधिश्वर शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने शुक्रवार को कहा कि द्वारिका के सुधर्मा हो, स्यमंतक मणि के साथ सिंह खड़ा था इतने में उस जंगल में रहने वाला एक भालू का राजा जाम्बवंत वहां आया और उसने सिंह को मार दिया और मणि लेकर चला गया। श्रीकृष्ण और बलराम इस समय हस्तिनापुर चले गये थे। पांडवो को दुर्योधन ने लाक्षागृह में आग लगाकर जला दिया इस खबर सुनकर दोनों भाई हस्तिनापुर गये हुए थे। इधर द्वारका में अपना स्यमंतक मणिघर में नहीं मिलने से सत्रजीत ने यह बात फैलाई की मेरे नहीं देने पर श्रीकृष्ण ने यह मणि चुरा लिया है। इस तरह कृष्ण पर झूठा इल्जाम लगाया। हस्तिनापुर से वापस जाने पर श्रीकृष्ण ने यह सुना और मणि की तलाश में निकल गए। जंगल में एक जगह सत्रजीत का भाई सत्रधेनु और एक सिंह की लाश पड़ी देखी मगर कुछ पता नहीं चला। जंगल में इन्सान की गंध से जांबुवंत को ज्ञात हुआ वो भी भालुओं का राजा था और बड़ा शक्तिशाली था। श्रीकृष्ण को देखकर उसने बताया कि मणि उसके पास है लेकिन मेरे साथ युद्ध करने के बाद तुम्हें दूंगा। जांबुवंत ने श्रीराम की लंका विजय में बहुत मदद की थी और दीर्घ आयु होने से अभी तक जिंदा था। बहुत दिनों तक युद्ध चला और श्रीकृष्ण ने उसे पराजित किया। बाद में जांबुवंत ने श्रीकृष्ण को कहा कि आप मेरी बेटी से विवाह कीजिये। श्रीकृष्ण जांबुवती को लेकर द्वारिका आये और विधिपूर्वक लग्न किया और अपनी पटरानी बनाया।