श्रीहरिकोटा। चांद पर विक्रम लैंडर आज 4 सितंबर सुबह 8 बजे स्लीप मोड में चला गया। ये जानकारी इसरो ने दी है। इससे पहले पेलोड चास्टे (ChaSTE), रंभा-एलपी (RAMBHA-LP) और इल्सा (ILSA) ने नई लोकेशन पर काम किया और धरती से डेटा रिसीव किए। अब पेलोड भी स्विच ऑफ हो गए हैं। हालांकि लैंडर के रिसीवर्स काम कर रहे हैं।उम्मीद है कि विक्रम 22 सितंबर को दोबारा अपना काम शुरू कर देगा।चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर दोबारा लैंडिंग की। ISRO ने सोमवार को बताया कि लैंडर को 40 सेमी ऊपर उठाया गया और 30 से 40 सेमी की दूरी पर उसे सुरक्षित लैंड करा दिया। इसे हॉप एक्सपेरिमेंट यानी जंप टेस्ट कहा।इसरो ने बताया कि लैंडर को ऊपर उठाने से पहले उसका रैंप, पेलोड चास्टे (ChaSTE) और इल्सा (ILSA) को फोल्ड किया गया। दोबारा सफल लैंडिंग के बाद सभी उपकरणों को पहले की तरह सेट कर दिया गया। ये एक्सपेरिमेंट 3 सितंबर को किया गया। इसका मकसद फ्यूचर ऑपरेशन को सुनिश्चित करने और सैंपल वापसी को नई उम्मीद देना है।
इससे पहले इसरो ने 2 सितंबर को बताया था कि प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है। इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर स्लीप मोड में सेट किया गया है। इसमें लगे दोनों पेलोड APXS और LIBS अब बंद हैं। इन पेलोड से डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी तक पहुंचा दिया गया है।बैटरी भी पूरी तरह चार्ज है। रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया है कि 22 सितंबर 2023 को जब चांद पर अगला सूर्योदय होगा तो सूर्य का प्रकाश सौर पैनलों पर पड़े। इसके रिसीवर को भी चालू रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा।
चंद्रयान-3 के काउंटडाउन को आवाज देने वाली साइंटिस्ट का निधन
चंद्रयान 3 के लॉन्च काउंटडाउन को आवाज देने वाली इसरो साइंटिस्ट वलारमथी का शनिवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। रॉकेट फायर करने से पहले उलटी गिनती को ही काउंटडाउन कहा जाता है।ISRO के PRO के मुताबिक वलारमथी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में रेंज ऑपरेशंस प्रोग्राम कार्यालय का हिस्सा थीं। वह भारत के पहले रडार इमेजिंग सैटेलाइट RISAT-1 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी रह चुकी थीं।तमिलनाडु के अरियालुर में रहने वाली वलारमथी का जन्म 31 जुलाई, 1959 को हुआ था। उन्होंने कोयंबटूर के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। वे 1984 में ISOR में शामिल हुई थीं। वे भारत के पहले स्वदेशी रडार इमेजिंग सैटेलाइट (RIS) और देश के दूसरे उपग्रह RISAT-1 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं।2015 में, वे अब्दुल कलाम पुरस्कार पाने वाली फर्स्ट पर्सन बनीं। तमिलनाडु सरकार ने 2015 में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के सम्मान में यह पुरस्कार शुरू किया था।