जम्मू । जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा के समर्थित आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट ने जिम्मेदारी ले ली है। हालांकि, इसे लेकर एक और बड़ी महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी भी सामने आई है। पता चला है कि पाकिस्तान के आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा की ओर से टीआरएफ़ समेत अन्य आतंकी संगठनों को घात लगाकर हमला करने और गोलीबारी की ट्रेनिंग घाटी के दो लोग दे रहे हैं। इसमें साजिद जाट और कासिम का नाम सामने आ रहा है। यह वह दो लोग हैं जो स्लीपर सेल के तौर पर श्रीनगर के बाहरी इलाकों में रहते हैं। आतंकियों ने अपनी किसी भी बड़ी वारदात से पहले साजिद-कासिम का ट्रेंनिंग माड्यूल इजाद किया है। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियों से लेकर खुफिया एजेंसियों के निशाने पर साजिद और कासिम का नेटवर्क है। खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, घाटी में द रेजिस्टेंस फ्रंट को मिलने वाली आतंकी घटनाओं के इनपुट और हेल्प में स्थानीय स्तर के कुछ ऐसे हैंडलर्स के नाम सामने आए हैं। ये हैंडलर्स आतंकियों को आत्मघाती हमले समेत घात लगाकर बड़ी घटना को अंजाम देने के तौर पर प्रशिक्षित करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, अनंतनाग में बड़ी घटना को अंजाम दिए जाने से पहले इन्हीं दो साजिद और कासिम ने द रेजिस्टेंस फ्रंट के आतंकियों को शूटिंग का प्रशिक्षण देने की बात सामने आ रही है। यह वह आतंकी है जो स्थानीय लोगों को जिहाद के नाम पर न सिर्फ दी रेजिस्टेंस फ्रंट बल्कि अन्य आतंकी संगठनों के कमांडरों से मिलवाने का भी काम करते हैं। खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस वक्त घाटी में लश्कर-ए-तैयबा के साए के तौर पर द रेजिस्टेंस फ्रंट आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहा है। इसके सभी आतंकियों को अलग-अलग इलाकों में साजिद और कासिम के नेटवर्क से शूटिंग और बड़े हमले की ट्रेनिंग दी जा रही है। हालांकि खुफिया एजेंसियो से जुड़े सूत्रों का कहना है कि घाटी के उस पार से पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों ने घाटी में न सिर्फ स्थानीय लोगों को अपने साथ जोड़ने की रणनीति बनाई बल्कि उनको टॉप ट्रेनर के साथ प्रशिक्षण भी दिलाने की साजिशे रच रहे हैं। सूत्रों का कहना है की घाटी में जिस तरीके से 2019 के बाद से टीआरएफ ने अपना नेटवर्क बढ़ाने की योजना बनाई उसमें उनको साजिद और कासिम के नेटवर्क से बड़ी मदद भी मिली है। फिलहाल घाटी के अलग-अलग इलाकों में छिपकर आतंकी प्रशिक्षण देने के लिए इन दोनों हैंडलर्स के कुछ शातिर आतंकियों को पहले से निशाने पर लेकर अरेस्ट भी किया जा चुका है। अनंतनाग की घटना के बाद आतंकी प्रशिक्षण देने वालों और उनके संपर्क में आए लोगों को पकड़ा जा रहा है। दरअसल, घाटी में बीते कुछ समय से द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ज्यादातर हमलों की जिम्मेदारी ली है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की वार्षिक रिपोर्ट कहती है कि 2022 में कश्मीर में सुरक्षा बलों के 90 से अधिक ऑपरेशनों में 42 विदेशी नागरिकों सहित 172 आतंकवादी मारे गए। इनमें से 108 द रेजिस्टेंस फ्रंटÓ या लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी थे। इसके अलावा जम्मू कश्मीर पुलिस की यह रिपोर्ट बताती है कि आतंकवादी समूहों में शामिल होने वाले 100 लोगों में से 74 को टीआरएफ ने भर्ती किया था। यानी की सबसे ज्यादा घाटी में द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ही अपने आतंकी संगठन में
शामिल किया है।
जानकारी के मुताबिक, पहले आतंकी सीमा पार से आतंकी प्रशिक्षण लेकर घाटी में प्रवेश कर जाते थे। लगातार बढ़ती जा रही सख्ती और आतंकियों पर हो रही कड़ी कार्रवाई के चलते अब नए मॉड्यूल के साथ लश्कर-ए-तैयबा और द रेजिस्टेंस फ्रंट ने स्थानीय स्तर पर आतंकी प्रशिक्षण की तैयारी शुरू की। इसके लिए श्रीनगर समेत घाटी अन्य जिलों के बाहरी इलाकों में पहले से प्रशिक्षित आतंकियों के माध्यम से नए जुड़े आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाने लगा। इसी कड़ी में अनंतनाग में हुई आतंकी घटना में द रेजिस्टेंस फ्रंट के आतंकियों को ट्रेनिंग देने के लिए साजिद और कासिम जैसे शातिर आतंकियों से हमलावरों को प्रशिक्षण दिलाया गया। फिलहाल खुफिया एजेंसी को आतंकियों के इस मॉड्यूल की जानकारी पहले से ही थी। घाटी में सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस तरह के प्रशिक्षण कैंपों को पूरी तरह से किया जा चुका है। बावजूद इसके अब आई आतंकियो ने टुकड़ों में आतंकी संगठन में शामिल नए आतंकियों को ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी है।
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