- हम अमेरिकी लोकतंत्र की खामियां स्वीकारेंगे वे तभी हमसे बात करेंगे
वॉशिंगटन । अमेरिका में भारतीय मूल के सांसदों का कहना है कि वे भारत के साथ मानवाधिकारों का मुद्दा उठाते रहेंगे। हालांकि, भारत उन पर काम नहीं करेगा। अमेरिका में गुरुवार को ‘देसी डिसाइड्स’ नाम की एक समिट हुई। इसमें अमेरिकी चुनाव में भारतवंशियों के प्रभाव को लेकर चर्चा हुई।इसी दौरान सांसद आर ओ खन्ना ने कहा कि अमेरिका को मनवाधिकारों के मुद्दों पर भारत की लीडरशिप से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत पर 100 साल तक विदेशी हुकूमत का राज था। तो जब आप भारत को मानवाधिकारों पर लेक्चर देंगे तो वो आपकी बात नहीं सुनेंगे।समिट में भारतवंशी सांसदों से PM मोदी और मुस्लिम समुदाय के साथ उनके संबंधों पर सवाल किया गया था। आर ओ खन्ना ने कहा कि भारत लेक्चर सुनने की बजाय तब अपने लोकतंत्र की खामियों को सुधारेगा, जब अमेरिका भी अपनी गलतियों को स्वीकार करेगा। उन्होंने कहा कि भारत से बात करने का यही अच्छा तरीका है।इस पर दूसरे भारतवंशी सांसद बेरा ने खन्ना से सहमति जताई। बेरा ने कहा कि मैंने भारतीय विदेश मंत्री से भी मानवाधिकारों के मुद्दों पर बात की थी। उनसे कहा था कि भारत अगर अपनी धर्मनिर्पेक्ष छवि खो देगा तो इससे बाकी दुनिया के सामने भारत अपनी पहचान ही खो देगा।बेरा ने आगे कहा कि हमारे यहां अभी भी जीवंत लोकतंत्र है। हमारे पास एक विपक्षी दल है। हम प्रेस की स्वतंत्रता में विश्वास रखते हैं। यह सभी चीजें हैं, जो मुझे भारत के लिए चिंतित करती हैं। बेरा ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि भारत का लोकतंत्र जीवित रहेगा।भारतवंशी सांसद जयपाल ने कहा कि सांसद होने के तौर पर हमें अपने और दूसरे देशों की आलोचना करने की हिम्मत होनी चाहिए। भारत आर्थिक तौर पर अमेरिका के लिए अहम साझेदार है। हालांकि, अमेरिका को अपनी वैल्यूज (मूल्यों) के बारे में भी सोचना चाहिए।जयपाल ने कहा कि अगर अमेरिका चीन में उइगर मुस्लिमों की आलोचना करता है तो उन्हें ये भी देखना चाहिए की भारत में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘मुझे पता है ये सब कहने पर मुझे एक बुरा कहा जाएगा। हालांकि, मैं फिर भी गलत होने पर आलोचना करूंगी क्योंकि ऐसा न करना अमेरिका के मूल्यों के खिलाफ होगा।