आसन तक लेकर गये पीएम मोदी और राहुल गांधी,18वीं लोक सभा रचनात्मक चिंतन एवं नूतन विचारों की सभा हो:लोक सभा अध्यक्ष
नई दिल्ली (वी.एन.झा)। 17वीं लोक सभा के निवर्तमान अध्यक्ष ओम बिरला को आज 18 वीं लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में पुन: चुना गया। इस अवसर पर प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने चुनाव प्रक्रिया का संचालन किया। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसका रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन किया। कई केंद्रीय मंत्रियों, पार्टियों के नेताओं और अन्य संसद सदस्यों ने भी बिरला के पुन: चुनाव के लिए एक प्रस्ताव पेश किए। अरविंद गणपत सावंत, सांसद ने लोक सभा अध्यक्ष के रूप में के. सुरेश, सांसद के चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश किया, प्रस्ताव का समर्थन एन.के. प्रेमचंद्रन, सांसद ने किया। प्रस्ताव को प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब द्वारा मतदान के लिए रखा गया और मतदान के पश्चात् ओम बिरला को 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष घोषित किया गया। तत्पश्चात, महताब ने बिरला को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने और सदन की कार्यवाही संचालित करने के लिए आमंत्रित किया। इसके पश्चात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और संसदीय कार्यमंत्री किरन रिजिजू उन्हें अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया। सदन के नेता, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने सदन को संबोधित किया और बिरला को उनकी ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी। इस अवसर पर लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्रियों, दलों के नेताओं और अन्य सांसदों ने बिरला को लोक सभा अध्यक्ष के रूप में उनके ऐतिहासिक पुनर्निर्वाचन के लिए बधाई दी। इस अवसर पर बोलते हुए, बिरला ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, सदन में दलों के नेताओं और संसद सदस्यों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। बिरला ने 18वीं लोक सभा के लिये दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के उत्सव (चुनाव) में सक्रियता से भागीदारी के लिए देश की जनता के प्रति सदन की ओर से आभार व्यक्त किया। निर्वाचन आयोग के निष्पक्ष, निर्विवाद एवं पारदर्शी कार्य के लिए भी उन्होंने साधुवाद दिया। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार के गठन का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि पिछले एक दशक में जनता की सरकार के प्रति अपेक्षाएं, आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं और इसलिए जनप्रतिनिधि का दायित्व बन जाता है कि वे उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को प्रभावी तरीके से पूर्ण करने के लिए सामूहिक प्रयास करें। बिरला ने सभी सदस्यों से आग्रह किया कि 18वीं लोक सभा के लिए एक नया विजन और संकल्प होना चाहिए। उन्होंने आव्हान किया की कि 18वीं लोक सभा रचनात्मक चिंतन एवं नूतन विचारों की सभा हो, जो उच्च कोटि की संसदीय परंपरा और मर्यादा स्थापित करने वाली सभा हो। बिरला आगे कहा कि सदन में पक्ष-प्रतिपक्ष की मर्यादित सहमति-असहमति की अभिव्यक्ति हो। उन्होंने आगे कहा कि सदन का लक्ष्य विकसित भारत के संकल्प को इच्छाशक्ति के साथ पूर्ण करना होना चाहिए। 18 वी लोक सभा में 281 पहली बार चुने गए सांसदों की उपस्थिति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बिरला ने उनका सदन में अभिनंदन किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पहली बार निर्वाचित सदस्य, सदन के नियमों और परंपराओं का गहन अध्ययन करेंगे, और अपने वरिष्ठ सहयोगियों के अनुभवों और मार्गदर्शन का लाभ उठाते हुए श्रेष्ठ संसदीय परंपराओं को समृद्ध करेंगे। बिरला ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया कि उनके मार्गदर्शन में संविधान दिवस मनाने की श्रेष्ठ परंपरा की शुरुआत की है। उन्होंने आगे कहा कि मोदीजी के मार्गदर्शन में ‘नो योर कॉन्स्टिट्यूशनÓ अभियान का आरंभ हुआ जिससे देश की युवा पीढ़ी अपने संवैधानिक कर्तव्यों और दायित्वों को समझते हुए देश के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सके। सदन के कार्यकरण के विषय में बोलते हुए बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में संसद सदस्य अलग अलग विचारधारा से चुनकर आते हैं, और उनका वैचारिक विरोध हो सकता है, लेकिन सदन में अभिव्यक्ति मर्यादित होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सरकार की नीतियों एवं निर्णयों की सकारात्मक आलोचना हो, लेकिन पूर्व-नियोजित गतिरोध नहीं होना चाहिए। संसद में विरोध और सड़क पर विरोध में अंतर तो होना ही चाहिए। बिरला ने कहा कि संसद में सदस्यों का आचरण शालीन हो, स्वस्थ वातावरण में सार्थक संवाद हो। उन्होंने आगे कहा कि सदन को चलाने के लिए सभी पक्षों की सहमति और सबका सहयोग जरूरी है।
इमरजेंसी का समय हमारे देश के इतिहास में अन्याय का कालखण्ड था
26 जून 1975 में लगे आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बिरला ने सदन की तरफ से आपातकाल लगाने के निर्णय का उल्लेख किया। बिरला ने उन सभी लोगों के संकल्प शक्ति की सराहना की जिन्होंने आपातकाल का पुरजोर विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की। भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के दिन को काला अध्याय बताते हुए बिरला ने कहा कि इस दिन तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई और बाबा साहेब द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया। बिरला कहा कि विश्व में भारत की पहचान लोकतंत्र की जननी के रूप में है जहां सदैव लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रोत्साहित किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को भूला दिया गया और अभिव्यक्ति की आजादी को का गला घोटा गया। उन्होंने आगे कहा कि इमरजेंसी के दौरान नागरिकों के अधिकार नष्ट किए गए और उनकी आजादी छीन ली गई। यह वह दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया और पूरे देश को जेल खाना बना दिया गया। इमरजेंसी के विषय में बात करते हुए बिरला ने कहा कि उस समय कि तानाशाह सरकार द्वारा ने मीडिया पर अनेक पाबंदियां लगा दी गई और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगा दिया था। इमरजेंसी का वह समय हमारे देश के इतिहास में अन्याय का कालखण्ड था। बिरला ने कहा कि आपातकाल लगाने के बाद उसे समय की कांग्रेस सरकार ने कई ऐसे निर्णय किए जिन्होंने संविधान की भावना को कुचलने का काम किया। उस समय पर लिए गए कई निर्णयों का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि उन सभी निर्णयों का लक्ष्य था कि सारी शक्तियां एक व्यक्ति के पास आ जाए। उन्होंने इमरजेंसी के दौरान लोगों पर सरकार द्वारा जबरन थोपी गई अनिवार्य नसबंदी और अतिक्रमण हटाने की क्रूर नीतियों का उल्लेख किया। बिरला ने कहा कि आपातकाल एक काला खंड था जिसने संविधान के सिद्धांतों, संघीय ढांचे और न्यायिक स्वतंत्रता के महत्व को कम करने की कोशिश की। सदन ने आपातकाल में आहत हुए देश के नागरिकों को स्मरण करते हुए 2 मिनट का मौन रखा।
PM मोदी ने ओम बिरला के पिछले कार्यकाल को बताया ऐतिहासिक
ओम बिरला के लोकसभा स्पीकर चुने जाने के बाद 18वीं लोकसभा के अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘ये सदन का सौभाग्य है कि आप दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष के पद पर विराजमान हुए हैं। आपको और इस पूरे सदन को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई। इस पूरे सदन की तरफ से भी आपको अनेक-अनेक शुभकामनाएं। अमृतकाल के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में दूसरी बार इस पद पर विराजमान होने से आपको बहुत बड़ा दायित्व मिल रहा है। आपके अनुभव और हमारे अनुभव से हमें विश्वास है कि आप हम सभी का मार्गदर्शन करेंगे। मुझे विश्वास है आप हर कदम पर नए कीर्तिमान गढ़ते रहेंगे।’ 17वीं लोकसभा के कार्यकाल की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा ‘आपका पिछला कार्यकाल संसदीय लोकतंत्र का ऐतिहासिक कालखंड रहा है। आपकी अध्यक्षता में सदन में जो काम हुआ, वह अपने आप में सदन की भी और आपकी भी विरासत है। आपकी अध्यक्षता में नारी शक्ति वंदन बिल, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, मुस्लिम महिला विवाह अधिकार कानून, डायरेक्ट टैक्स समेत कई अहम सामाजिक, आर्थिक और नागरिक कानून पास हुए। जो काम आजादी के 70 साल में नहीं हुए, वो आपकी अध्यक्षता में हुए। लोकतंत्र की लंबी यात्रा में कई पड़ाव आते हैं। कुछ अवसर ऐसे होते हैं, जब हमें कीर्तिमान स्थापित करने का मौका मिलता है। 17वीं लोकसभा पर देश आज भी और भविष्य में भी उस पर गौरव करेगा।
आशा है विपक्ष को बोलने का मौका देकर संविधान रक्षा का कर्तव्य निभाएंगे बिरला : राहुल गांधी
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को सदन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिरला को बधाई दी और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह विपक्ष को बोलने का मौका देकर संविधान की रक्षा का अपना दायित्व निभाएंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद ओम बिरला को बुधवार को ध्वनिमत से लोकसभा अध्यक्ष चुन लिया गया। वह दूसरी बार इस उत्तरदायित्व को संभाल रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, मैं आपके दूसरी बार अध्यक्ष चुने जाने पर आपको बधाई देना चाहता हूं। मैं पूरे विपक्ष की ओर से, इंडिया गठबंधन की ओर से आपको बधाई देना चाहता हूं। राहुल गांधी ने कहा, अध्यक्ष महोदय, यह सदन भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है और आप उस आवाज के संरक्षक हैं। निस्संदेह, सरकार के पास राजनीतिक शक्ति है लेकिन विपक्ष भी भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है। उनका कहना था कि विपक्ष सदन चलाने में पूरा सहयोग करेगा, लेकिन यह भी जरूरी है कि विपक्ष को सदन के अंदर लोगों की आवाज उठाने का मौका मिले। उन्होंने कहा, सहयोग विश्वास के आधार पर होना चाहिए और विपक्ष की आवाज को सदन में उठाए जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। सवाल यह नहीं है कि सदन कितनी कुशलता से चल रहा है, सवाल यह है कि सदन में भारत की कितनी आवाज सुनी जा रही है। इसलिए यह विचार कि आप विपक्ष की आवाज को बंद करके सदन को कुशलतापूर्वक चला सकते हैं, गैर-लोकतांत्रिक है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने हालिया लोकसभा चुनाव के नतीजों का हवाला देते हुए कहा कि इस चुनाव से पता चला है कि भारत के लोग विपक्ष से देश के संविधान की रक्षा की उम्मीद करते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, आशा है कि हमें अपनी आवाज उठाने, भारत के लोगों की आवाज उठाने का मौका मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि बिरला विपक्ष को आवाज उठाने का मौका देकर संविधान रक्षा का अपना दायित्व निभाएंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, अध्यक्ष महोदय, यह विचार गैर-लोकतांत्रिक है कि आप विपक्ष की आवाज को चुप कराकर सदन को कुशलतापूर्वक चला सकते हैं।
इस चुनाव ने दिखाया है कि भारत के लोग विपक्ष से संविधान की रक्षा की उम्मीद करते हैं। हमें विश्वास है कि विपक्ष को बोलने की अनुमति देकर, हमें भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देकर, आप भारत के संविधान की रक्षा करने का अपना कर्तव्य निभाएंगे।