मुंबई । अगले कुछ महीनो में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होने हैं। सत्ता वापसी के लिए वर्तमान सरकार एड़ी से चोटी का जोर भी लगा रही है। लेकिन इस जोर में एक कमजोर कड़ी भी सामने दिख रही है। दरअसल वर्तमान महाराष्ट्र की सरकार में अजित पवार की एनसीपी को लेकर कई तरह के सियासी संशय सामने आ रहे हैं। सियासी गलियारों में कहा यह तक जा रहा है की सीटों के बंटवारे को लेकर लगातार फंस रहे पेंच पर संभव है अजित पवार की एनसीपी विधानसभा के चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरे। हालांकि इन सभी सियासी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से मुलाकात कर गठबंधन के तहत ही चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर रहे हैं। दो दिन पहले ही अजित पवार ने गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की। उसके बाद पार्टी की बैठक में शामिल होकर भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस से भी मुलाकात कर विधानसभा चुनाव में सियासी संभावनाओं पर चर्चा की।दरअसल महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में अजित पवार की एनसीपी भी शामिल है। लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम में अजित पवार की एनसीपी का जो रिजल्ट रहा उससे गठबंधन में अजित पवार को रखा जाए या ना रखा जाए इसको लेकर सवाल उठने लगे। हालात ऐसे हो गए की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारकों ने भी अजित पवार के साथ भारतीय जनता पार्टी के हुए गठबंधन पर सवालिया निशान उठा दिए। सियासी जानकारों का भी मानना है कि इस वक्त जो परिस्थितियां बनी है उसमें अजित पवार के लिए कई तरह के समझौते करने पड़ सकते हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात आने वाले विधानसभा के चुनाव में सीटों पर समझौते को लेकर कही जा रही है। दरअसल 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में अगर 160 से 170 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ती है तो बची हुई 120 से 130 सीटों पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी को हिस्सेदारी मिलेगी। जबकि महाराष्ट्र की सियासत में चर्चा इस बात की हो रही है कि अजित पवार और एकनाथ शिंदे की पार्टियां भी सौ सौ सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा मामला आने वाले विधानसभा के चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर फंसता हुआ दिख रहा है।