दिसपुर । असम मोइदम में अहोम राजवंश के टीले वाले कब्रस्तान को 26 जुलाई को यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज लिस्ट में शामिल कर लिया गया। कल्चरल कैटेगरी में शुमार मोइदम भारत की 43वीं हैरिटेज साइट है। इसकी घोषणा दिल्ली में चल रहे वर्ल्ड हैरिटेज काउंसिल के 46वें सेशन में की गई।यह पहली बार है जब नॉर्थ ईस्ट की एक सांस्कृतिक महत्व की जगह यूनेस्को की लिस्ट में शामिल हुई है। इसके पहले काजीरंगा और मानस नेशनल पार्क को वर्ल्ड हैरिटेज घोषित किया जा चुका है। अप्रैल 2014 में यूनेस्को की टेम्परेरी लिस्ट में भी मोइदम शामिल किए गए थे।मोइदम, अहोम राजाओं, रानियों और रईसों की कब्रें हैं। मोइदम शब्द ताई शब्द फ्रांग-माई-डैम या माई-टैम से लिया गया है। फ्रांग-माई का अर्थ है कब्र में डालना या दफनाना और डैम का मतलब है- मृतक की आत्मा। वैसे तो मोइदम ऊपरी असम के सभी जिलों में पाए जाते हैं, लेकिन अहोम की पहली राजधानी चराईदेव लगभग सभी अहोम राजघरानों का कब्रिस्तान था। चराईदेव शिवसागर से 28 किमी पूर्व में स्थित है। अहोम के पहले राजा चौ-लुंग सिउ-का-फा को उनकी मृत्यु के बाद चराईदेव में दफनाया गया था, जिसमें सभी ताई-अहोम धार्मिक संस्कार और अनुष्ठान किए गए थे। 1228 और 1826 के बीच लगभग 600 साल तक असम पर ताई-अहोम राजवंश का शासन था। चराईदेव इनकी राजधानी थी।चराईदेव में खोजे गए 386 मोइदम में से 90 शाही कब्रें, इस परंपरा की सबसे अच्छी संरक्षित और बेहतर संरचनाएं हैं।ताई अहोम, पूर्वजों के उपासक हैं। चराईदेव उनके स्वर्गदेवों (राजा जो भगवान की तरह हैं) और पूर्वजों का अंतिम विश्राम स्थल है।