कलकत्ता
पश्चिम बंगाल में राज्य और राज्य सरकार के बीच मतभेद चल रहा है। दरअसल राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर कथित यौन शोषण का आरोप लगाया गया था। इस आरोप के बाद मुख्यमंत्री ने 27 जून को विवादित टिप्पणी की थी। यही नहीं उन्होंने विधायकों का शपथ ग्रहण विधानसभा में कराने की मांग की। जबकि राज्यपाल राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करना चाहते थे। कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बारे में बयान दे सकती हैं, बशर्ते वे कानून के अनुरूप हों। बनर्जी और टीएमसी नेता कुणाल घोष ने एकल पीठ के अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की, जिसमें बनर्जी और तीन अन्य को बोस के खिलाफ कोई अपमानजनक या गलत बयान नहीं देने का निर्देश दिया गया था। राज्यपाल ने ममता बनर्जी के विवादित बयान के बाद उन पर, टीएमसी नेता कुणाल घोष और दो विधायकों सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। वहीं ममता बनर्जी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है। दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस कृष्णा राव ने मंगलवार को राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित अन्य तृणमूल कांग्रेस नेताओं को विवादित टिप्पणियों से परहेज करने को कहा था। जज ने इस मामले में ममता सहित चारों तृणमूल नेताओं को 14 अगस्त तक राज्यपाल के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कोई भी आपत्तिजनक या गलतबयानी नहीं करने का अंतरिम निर्देश भी दिए थे।