- इलेक्टोरल डेटा और नतीजे कानूनन सही; कांग्रेस ने गड़बड़ी के आरोप लगाए थे
नई दिल्ली
चुनाव आयोग ने कहा कि अब तक के सबसे बड़े चुनाव को बदनाम करने के लिए कुछ झूठा कैंपेन चलाया जा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव सबसे ज्यादा ट्रांसपेरेंट तरीके से कराए गए हैं। चुनाव के हर चरण में उम्मीदवारों और स्टेकहोल्डर्स को शामिल किया गया है। इलेक्टोरल डेटा और रिजल्ट कानून के तहत वैधानिक प्रक्रियाओं के अनुसार है।दरअसल, इससे एक दिन पहले 3 अगस्त को कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ‘वोट फॉर डेमोक्रेसी’ नाम के एक संगठन की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि चुनाव की कांउटिंग में गड़बड़ी हुई है। मतदान के अलग-अलग दिन रात 8 बजे दिए गए वोटिंग प्रतिशत और कुछ दिन बाद जारी किए गए फाइनल वोटिंग प्रतिशत में बड़ा अंतर देखने को मिला है।रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुछ राज्यों में 10 से 12 प्रतिशत वोटों में अंतर दिखा। बूथ में शाम 6 बजे तक वोटिंग खत्म हो जाती है। क्या 7 बजे के बाद भी बूथ में इतने लोग थे, जिससे 10-12 प्रतिशत तक वोट ज्यादा डाले गए और कुछ दिनों बाद जारी फाइनल वोटर टर्नआउट में वोटों का प्रतिशत बहुत ज्यादा बढ़ा।इन आरोपों को लेकर चुनाव आयोग ने X पर किए पोस्ट में कहा- मतदान के दिन शाम 7 बजे के अनुमानित वोटर टर्नआउट की फाइनल टर्नआउट से तुलना की गई है। मतदान के दिन कुछ बूथों पर लोग लाइन में भी लगे हुए होते हैं। किसी भी उम्मीदवार को गड़बड़ी की आशंका होती है तो चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दी जा सकती है, लेकिन इस मामले को में कोई याचिका दायर नहीं की गई। 2019 के लोकसभा चुनाव के तुलना में इस बार कम याचिकाएं दायर की गई थीं।एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने मुताबिक, 362 सीटों पर कुल वोट और गिने गए वोटों में 5,54,598 का अंतर है। यानी इन सीटों पर इतने वोट कम गिने गए हैं। वहीं, 176 सीटों पर कुल पड़े वोटों से 35,093 वोट ज्यादा गिने गए हैं।