नई दिल्ली
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ सोमवार को एक सुनवाई के दौरान वकील के अंग्रेजी में ‘या.. या..’ कहने पर नाराज हो गए। उन्होंने वकील को डांटते हुए कहा- यह कोई कॉफी शॉप नहीं है। ये क्या है या.. या..। मुझे इससे बहुत एलर्जी है। इसकी परमिशन नहीं दी जा सकती। आप यस बोलिए।
डांट सुनने के बाद वकील ने बताया कि वह पुणे का रहने वाला है। वह मराठी में दलीलें देने लगा, इस पर CJI ने भी मराठी में ही उसे समझाने की कोशिश की।
दरअसल, याचिका पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ इन हाउस जांच की मांग को लेकर लगाई गई थी। CJI चंद्रचूड़ ने वकील से केस से पूर्व CJI का नाम हटाने का निर्देश दिया है।
पहले वकील को अंग्रेजी पर पड़ी डांट
- एडवोकेट : पूर्व जस्टिस रंजन गोगोई का फैसला वैलिड टर्मिनेशन नहीं था।
- CJI चंद्रचूड़ : लेकिन क्या यह अनुच्छेद 32 की याचिका है? आप एक जज को पार्टी बनाकर जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं।
- एडवोकेट : या..या.. तब CJI रंजन गोगोई ने मुझे एक क्यूरेटिव दायर करने के लिए कहा था।
- CJI चंद्रचूड़ : यह कॉफी शॉप नहीं है! यह क्या है या..या..। मुझे इससे बहुत एलर्जी है। इसकी परमिशन नहीं दी जा सकती।
फिर CJI ने मराठी में वकील को समझाया
- CJI चंद्रचूड़: (मराठी में) जज आला पार्टी करत नहीं। तासा कारण है। (आप किसी जज पर आरोप नहीं लगा सकते। कानून में इसके लिए प्रक्रिया है) जब आप किसी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हैं तो आप यहां जज को दोष नहीं देते।
- एडवोकेट: मैं काय करत साहेब (मुझे क्या करना चाहिए) ।
- CJI चंद्रचूड़: तुम्हले सूझत नाहीं (आप मेरी बात बिल्कुल नहीं समझ रहे।)
- CJI चंद्रचूड़: क्या आप अपील में जस्टिस गोगोई का नाम हटा देंगे।
- एडवोकेट : हो हो (हां.. हां..) मैं ऐसा करूंगा।
- CJI चंद्रचूड़: ठीक है आप पहले हटाएं और फिर हम देखेंगे।
पूर्व CJI रंजन के खिलाफ 2018 में दाखिल हुई याचिका पूर्व CJI के खिलाफ याचिका मई 2018 में दायर की गई थी। इसमें कहा गया कि पूर्व CJI गोगोई ने एक अवैध बयान के आधार पर श्रम कानूनों के तहत सेवा समाप्ति को चुनौती देने वाली याचिका को गलत तरीके से खारिज कर दिया था। उनके फैसले में बड़ी गलतियां थीं।
सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि सही हो या गलत, सुप्रीम कोर्ट का फाइनल फैसला आ चुका है। रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी गई है। अब आपको क्यूरेटिव दाखिल करना होगा, लेकिन आप ऐसा नहीं करना चाहते।
CJI ने यह भी साफ किया कि जब किसी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो मामले का फैसला सुनाने वाले हाईकोर्ट के जज को पार्टी नहीं बनाया जाता।
कौन हैं जस्टिस गोगोई जस्टिस गोगोई वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। सुप्रीम कोर्ट में टॉप पोस्ट पर पहुंचने वाले वे पूर्वोत्तर के पहले व्यक्ति थे और उन्हें दशकों पुराने राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद मामले पर फैसला सुनाने का श्रेय दिया जाता है। वे 17 नवंबर 2019 को CJI के पद से रिटायर हुए थे।
पहले भी सुनवाई के दौरान वकील को फटकार चुके CJI चंद्रचूड़
1. इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुनवाई के दौरान : CJI ने एडवोकेट से कहा- मुझ पर चिल्लाओ मत इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में 16 मार्च को उन याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी। सुनवाई के दौरान नेदुमपरा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड मामला बिल्कुल भी न्यायसंगत मुद्दा नहीं था।
जब नेदुमपरा बोल रहे थे तो CJI ने उनसे रुककर सुनने के लिए कहा, लेकिन नेदुमपरा ने कहा कि मैं इस देश का नागरिक हूं। इस पर CJI ने कहा, “एक सेकेंड, मुझ पर चिल्लाओ मत। नेदुमपरा ने जवाब दिया, “नहीं, नहीं, मैं बहुत नरम (आराम से बोलना) हूं।
2. CJI ने वकील से कहा- अदालत कोई रेलवे प्लेटफॉर्म नहीं कि आप आएं और किसी भी ट्रेन में चढ़ जाएं 29 जनवरी को कोर्ट-रूम में गलत व्यवहार करने पर एक वकील की जमकर क्लास ली थी। CJI ने कहा- ये कोई रेलवे प्लेटफॉर्म नहीं कि आप आएं और किसी भी ट्रेन में चढ़ जाएं। पहले किसी सीनियर से सीखें कि कोर्ट-रूम में किस तरह से व्यवहार किया जाता है। फटकार के बाद भी वकील अपनी बात पर अड़ा रहा। उसने कहा कि वो न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसमें सुधार चाहता है।
3. CJI बोले- एक दिन यहां बैठिए, जान बचाकर भागेंगे, NCP-शिवसेना विवाद पर वकील ने जल्द तारीख मांगी थी शिवसेना (शिंदे गुट) विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका के लिए बार-बार तारीख मांगने पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने वकील से कहा- एक दिन यहां बैठकर देखिए। आप अपनी जान बचाने के लिए भागेंगे। NCP (SP) और शिवसेना (उद्धव गुट) की दो अलग-अलग याचिकाओं के लिए तारीखें तय करते समय चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी की।