नयी दिल्ली
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज ‘निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने’के संबंध में परामर्श पत्र जारी करते हुये हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की। ट्राई ने यहां जारी एक बयान में कहा कि वर्तमान में, भारत में एनालॉग टेरेस्टेरियल रेडियो प्रसारण, मीडियम वेव (एमडब्ल्यू) (526-1606 किलोहर्टज), शॉर्ट वेव (एसडब्ल्यू) (6-22 मेगाहर्टज) और वीएचएफ -ढ्ढढ्ढ (88-108 मेगाहर्टज) स्पेक्ट्रम बैंड में किया जाता है। इस बैंड में, वीएचएफ -2 बैंड को फ़्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन (एफएम) प्रौद्योगिकी शामिल किए जाने के कारण एफएम बैंड के रूप में जाना जाता है। ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) – सार्वजनिक सेवा प्रसारक के तौर पर एम डब्ल्यू, एस डब्ल्यू और एफ एम बैंड के माध्यम से रेडियो प्रसारण सेवाएं प्रदान करता है। निजी क्षेत्र के रेडियो प्रसारकों को केवल एफएम फ़्रीक्वेंसी बैंड (88-108 मेगाहर्टज) में कार्यक्रम प्रसारित करने का लाइसेंस दिया गया है। डिजिटल रेडियो प्रसारण से एनालॉग रेडियो प्रसारण की तुलना में कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जाएंगे।