नई दिल्ली। फीस जमा नहीं कर पाने की वजह से आईआईटी-धनबाद में प्रवेश से वंचित रह गए छात्र अतुल कुमार के प्रकरण पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपनी असाधारण शक्ति का प्रयोग करते हुए आईआईटी धनबाद को इस दलित छात्र को एडमिशन देने का निर्देश दिया। मामले पर टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा, हम एक ऐसे युवा प्रतिभावान को नहीं गंवा सकते है। सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, हम ऐसे प्रतिभाशाली युवक को अवसर से वंचित नहीं कर सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता। शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आईआईटी-धनबाद को अतुल कुमार को संस्थान के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बीटेक पाठ्यक्रम में दाखिला देने का निर्देश दिया। चीफ जस्टिस की पीठ ने अपने आदेश में कहा, हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता जैसे प्रतिभाशाली छात्र को वंचित नहीं किया जाना चाहिए, जो हाशिए पर पड़े समूह से ताल्लुक रखता है और जिसने प्रवेश पाने के लिए हरसंभव प्रयास किया।
हम निर्देश देते हैं कि अभ्यर्थी को आईआईटी-धनबाद में प्रवेश दिया जाए तथा उसे उसी बैच में रहने दिया जाए, जिसमें फीस का भुगतान करने की सूरत में उसे प्रवेश दिया गया होता।