बारां
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुओं से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने हिंदू समाज से मतभेद और विवाद मिटाने का आह्वान किया।भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेद और विवाद मिटाकर अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा। उन्होंने हिंदू समाज को एकता का संदेश दिया।समाज में एकता, सद्भावना और बंधन का भाव हो। संघ प्रमुख शनिवार शाम को बारां के कृषि उपज मंडी परिसर में स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे।संघ की किसी से नहीं हो सकती तुलना – भागवत उन्होंने कहा कि समाज ऐसा हो जहां संगठन, सद्भावना और आत्मीयता का व्यवहार हो। समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और ध्येय निष्ठ होने का गुण आवश्यक है। मैं और मेरा परिवार मात्र से समाज नहीं बनता, बल्कि हमें समाज की सर्वांगीण चिंता से अपने जीवन में भगवान को प्राप्त करना है।संघ कार्य यंत्रवत नहीं, बल्कि विचार आधारित है। संघ कार्य की तुलना योग्य कार्य विश्व में नहीं है। संघ की किसी से तुलना नहीं हो सकती है। संघ से संस्कार गटनायक में जाते है, गटनायक से स्वयंसेवक और स्वयंसेवक से परिवार तक जाते हैं। परिवार से मिलकर समाज बनता है। संघ में व्यक्ति निर्माण की यही पद्धति है। डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि विश्व में भारत की प्रतिष्ठा अपने देश के सबल होने से है। सबल राष्ट्र के प्रवासियों की सुरक्षा भी तब ही होती है, जब उनका राष्ट्र सबल है। वरना निर्बल राष्ट्र के प्रवासियों को देश छोड़ने के आदेश दे दिए जाते हैं। भारत का बड़ा होना प्रत्येक नागरिक के लिए भी उतना ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र है।