नई दिल्ली । प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्र ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए गठित उच्च स्तरीय कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए तत्काल और दीर्घकालिक उपायों को लागू करने में दिल्ली सरकार और अन्य हितधारकों की तत्परता का आकलन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। केंद्रीय मंत्रालयों और दिल्ली प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों वाले कार्यबल ने मौजूदा रणनीतियों की समीक्षा की और प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए अन्य नई पहलों पर चर्चा की। दिल्ली के मुख्य सचिव ने वर्ष 2024 के लिए शहर की वायु गुणवत्ता प्रबंधन प्रयासों पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से निर्माण से संबंधित धूल, बॉयोमास जलाने और वाहन से होने वाले उत्सर्जन का वायु प्रदूषण में योगदान बना हुआ है। खासकर सर्दियों के महीनों के दौरान हालात और बिगड़ जाते हैं जब मौसम ज्यादा स्थिर हो जाता है। उन्होंने इलेक्ट्रिक बस बेड़े को बढ़ाने और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने, मशीनीकृत सड़क स्वच्छता, धूल कम किए जाने और अपशिष्ट और बायोमास को जलाने से रोकने के प्रयासों सहित कई उपायों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। बैठक के दौरान, डॉ. मिश्र ने लगातार वायु गुणवत्ता से जुड़े मुद्दों पर चिंता व्यक्त की और मौजूदा कानूनों को सख्ती के साथ लागू किए जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सड़कों और निर्माण दोनों गतिविधियों से धूल नियंत्रण के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने की आवश्यकता है। डॉ. मिश्र ने सड़कों के मध्य स्थित जगहों को हरा-भरा करने और धूल से बचने के लिए पैदल पथों और सड़क के किनारे खुले क्षेत्रों को पक्का करने/हरा-भरा करने के लिए मिशन-मोड में कार्य करने का आग्रह किया। खासकर भारी प्रदूषण वाले हॉटस्पॉट और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत आने वाले समय के दौरान मशीनों से सड़कों की सफाई, पर्याप्त संख्या में एंटी-स्मॉग गन की तैनाती और नियमित रूप से पानी का छिड़काव भी बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने निर्माण और विध्वंस स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों की निगरानी बढ़ाने और सख्ती से क्रियान्वयन के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि निर्माण सामग्री और मलबे का परिवहन इस तरह से किया जाए जिससे सड़कों पर धूल का प्रदूषण न हो। बैठक के दौरान ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर भी प्रमुखता से चर्चा हुई, जिसमें डॉ. मिश्र ने नगर पालिका संबंधी ठोस अपशिष्ट और बॉयोमास को खुले में जलाने से रोकने की आवश्यकता पर बल दिया । जिनका सर्दियों के महीनों में वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने दिल्ली में लैंडफिल साइट्स की मंजूरी की धीमी गति और एमसीडी की तरफ से ‘अपशिष्ट से ऊर्जा’ योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी पर भी चिंता व्यक्त की। डॉ. मिश्र ने विशेष रूप से एम/ओ ईएफएंडसीसी, एमओएचयूए और एमसीडी को मुद्दों को हल करने और विभिन्न शमन उपायों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा। दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में मौसमी वायु प्रदूषण के एक प्रमुख स्रोत कृषि पराली जलाने पर भी चर्चा की गई। भले ही, दिल्ली में धान का रकबा अपेक्षाकृत कम है, लेकिन डॉ. मिश्र ने आसपास के क्षेत्रों के लिए एक मॉडल के रूप में शहर में पराली जलाने की प्रक्रिया को पूरी तरह से खत्म करने का आह्वान किया। उपरोक्त उपायों के अलावा, दिल्ली में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के महत्व पर भी चर्चा की गई, ताकि डीजल जनरेटर पर निर्भरता कम से कम हो। इससे विशेषरूप से बिजली कटौती के दौरान खासा वायु प्रदूषण होता है।