नई दिल्ली (वी.एन.झा)। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में बीते कुछ वर्षों से चल रहा सीमा तनाव सुलझ गया है। दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर चली कवायद के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त और सैन्य तनाव घटाने पर सहमति बन गई है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई घटनाओं के बाद से हम चीनी पक्ष के साथ सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर लगातार संपर्क में थे। डब्ल्यूएमसीसी और सैन्य कमांडर स्तर पर दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हुई है। उन्होंने कहा कि वार्ता की इन कवायदों के कारण कई मोर्चों पर टकराव और तनाव मिटाने में कामयाबी मिली है। फिर भी असहमति के कुछ बिंदु बाकी थे। विदेश सचिव के मुताबिक पिछले कुछ हफ्तों में हुई वार्ताओं के बाद भारत-चीन सीमा क्षेत्र में सैन्य गश्त की व्यवस्था को लेकर सहमति बन गई है। इसके चलते सैन्य आमने-सामने की स्थिति अब सुलझ गई है। समझा जाता है कि यह समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में गश्त से संबंधित है. दोनों देशों की सेना देपसांग और डेमचोक से पीछे हटेंगीं.
भारत-चीन सीमा तनाव पर समझौते की यह खबर ऐसे समय आई है जब इस हफ्ते रूस के कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ होंगे। दोनों नेताओं की बीच मुलाकात की अटकलें भी लगाई जा रही थीं। विदेश सचिव ने ब्रिक्स शिखर बैठक के हाशिए पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की पुष्टि तो नहीं की लेकिन इस संभावना को खारिज भी नहीं किया। सैन्य टकराव और तनाव के कारण गश्त कहां तक हो इसको लेकर ही दोनों पक्षों के बीच असहमति के गहरे मतभेद थे। लगातार भारत की जमीन पर अपना कब्जा बढ़ाने की जुगत में लगे चीन की नीयत को लेकर भी सवाल थे। ऐसे में भारत ने सैन्य पैंतरों का उसी भाषा में जवाब देने के साथ ही चीन को समझौते की मेज पर रजामंदी की दस्तखत करने की नौबत तक ला ही दिया।
ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने अाज PM मोदी जाएंगे चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से हो सकती है मुलाकात?
विदेश सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कल कजान के लिए रवाना होंगे। इस सम्मेलन का विषय वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना है। पिछले साल जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स के विस्तार के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन होगा। उन्होंने बताया कि ब्रिक्स शिखर 22 अक्तूबर से शुरू होगा और पहले दिन की शाम को केवल नेताओं के लिए रात्रिभोज होगा। सम्मेलन का मुख्य दिन 23 अक्तूबर है। दो मुख्य सत्र होंगे। शिखर सम्मेलन 24 अक्तूबर को समाप्त होगा। लेकिन प्रधानमंत्री 23 अक्तूबर को नई दिल्ली लौटेंगे। शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री की कुछ द्विपक्षीय बैठकें भी हो सकती हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित बैठक से जुड़े सवाल को टाल दिया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, इस बारे में अगर कुछ नया होगा तो हम आपको सूचित करेंगे। दोनों नेता मंगलवार से शुरू होने वाले इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।