भावनगर
मोरारीबापू ने कहा कि सनातन धर्म नष्ट नहीं होता, बल्कि जब-जब यह क्षतिग्रस्त या नष्ट होता है, तब-तब भगवान अवतार लेकर धर्म की पुन: स्थापना करते रहते हैं। ककीडी गांव ने रामकथा ‘मानस पितामह’ में शिव पार्वती विवाह और राम जन्म से संबंधित प्रसंगों का वर्णन किया। श्री मोरारीबापू के व्यासों द्वारा महुवा के निकट तलगाजरडा के वायुमंडल के काकिडी गांव में रामकथा का लाभ लिया जा रहा है, जिसमें आज महाभारत और रामायण के संदर्भ में ध्यान लाभ प्रस्तुत किया गया। इस रामकथा ‘मानस पितामह’ गीत में शिव पार्वती के विवाह और राम के जन्म से संबंधित घटनाओं का वर्णन किया गया है। रामजन्म के अवसर पर यजमान परिवार एवं सेवकों ने मिठाइयां खिलाकर खुशियां मनाईं। मारा कुंता, कर्ण का मूल नाम वसुसैन और अन्य आख्यानों के साथ भगवान के अवतार के उद्देश्यों को समझाते हुए, मोरारीबापू बताते हैं कि भगवान ब्राह्मण के लिए अवतार लेते हैं जिसका अर्थ है धर्म, गाय का अर्थ है अर्थ, देवता का अर्थ है काम और संतो का अर्थ है मोक्ष, जिसमें पांच तत्व क्रमश: शब्द हैं। मोरारीबापू ने कहा कि सनातन धर्म नष्ट नहीं होता, बल्कि जब-जब यह क्षतिग्रस्त या नष्ट होता है, तब-तब भगवान अवतार लेकर धर्म की पुन: स्थापना करते रहते हैं। तुलसीदासजी ने क्रोध को पित्त का रोग, काम को वाणी का रोग और लोभ को कफ का रोग बताते हुए कहा है कि महाभारत में भी क्रोध व्यक्तिगत जीवन के केंद्र में है, अत: इससे सावधान रहें। मोरारीबापू ने रामकथा का गायन करते हुए स्वाध्याय गतिविधि के प्रणेता श्री पांडुरंग शास्त्रीजी दादा के संस्मरण भी प्रस्तुत किये। इस अवसर पर मनोर के स्वर्गीय रमाबेन और वसंतभाई जसानी परिवार ने भावी श्रोताओं के लिए परिवहन और प्रसाद आदि की सुंदर व्यवस्था की है। आसपास के गांवों में भी स्थानीय स्वयंसेवकों द्वारा विभिन्न सेवाएं शुरू की जा रही हैं।