भावनगर
भारत में प्रसिद्ध गांधीवादी विचार को जीवित रखने वाली संस्था गुजरात विधापीठ का स्थापना दिवस गुजरात विधापीठ में मनाया गया। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वदेशी और प्राकृतिक खेती को प्राथमिकता दी थी। उनका मानना था कि यदि भारत में प्राकृतिक खेती को अधिक महत्व दिया जाये तो भारत की कृषि समृद्ध हो जायेगी। गुजरात विद्यापीठ के स्थापना दिवस के अवसर पर प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए विधापीठ में पढऩे वाले 1200 छात्र और गुजरात विधापीठ के 200 शिक्षक द्वारा गुजरात में प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता को लेकर 21-10-2024 से 26-10-2024 तक पूरे गुजरात में यात्रा कार्यक्रम आयोजित किया गया। बनासकांठा जिले में गुजरात राज्य एवं गुजरात विद्यापीठ के कुलाधिपति आचार्य देवव्रत जी ने इस अभियान की शुरूआत की। गुजरात राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और गुजरात विधापीठ के ट्रस्टी भूपेन्द्रसिंह चुडास्मा ने इस अभियान के तहत धोलका के सीमेज और अरणेज के कृषि विज्ञान केंद्र और लोकभारती सणोसरा में इस अभियान की शुरुआत की। इस अभियान में विधायक किरीट सिंह डाभी, कुलपति हर्षदभाई पटेल की विशेष उपस्थिति रही। इस अभियान का उद्ïघाटन करते हुए गुजरात राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री एवं गुजरात विधापीठ के ट्रस्टी भूपेन्द्रसिंह चुडास्मा ने कहा कि हम जितना ध्यान निर्जीव वस्तुओं पर देते हैं, उतना ध्यान अपने बहुमूल्य एवं अमूल्य शरीर पर नहीं देते, हम कार में पेट्रोल पर देते हैं लेकिन हम आजकल अपने शरीर पर ध्यान नहीं। देते समय से पहले लाइलाज बीमारियां हो रही हैं। निकट भविष्य में यदि हम प्राकृतिक खेती की ओर नहीं मुड़े तो भविष्य में स्वास्थ्य का परिदृश्य बहुत खराब होने वाला है। उन्होंने सभी कृषक मित्रों से प्राकृतिक खेती करने का अनुरोध किया।