नई दिल्ली (वी.एन.झा)। चीन के साथ सीमा वार्ता में हाल ही में मिली सफलता के कुछ दिनों बाद, रक्षा सूत्रों ने पुष्टि की है कि पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी लगभग पूरी हो चुकी है. सूत्रों ने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पहली गश्त महीने के अंत तक फिर से शुरू होने की उम्मीद है, जहां 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से तनाव बना हुआ है.रक्षा सूत्रों ने ये भी बताया कि सैनिकों के पीछे हटने की ये प्रक्रिया अभी भी जारी है और उम्मीद है कि जल्द पूरी हो जाएगी. सूत्रों ने बताया कि अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी इस प्रक्रिया में दोनों पक्षों की ओर से सीमा गतिरोध के बाद विवादित क्षेत्रों में बनाए गए अस्थायी ढांचों और किलेबंदी को ध्वस्त करना शामिल है. ध्वस्त किए जा रहे अस्थायी ढांचों में उपकरण, वाहन और सैनिकों को रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पूर्वनिर्मित शेड और टेंट शामिल हैं. सूत्रों से संकेत मिलता है कि विघटन का क्रॉस-वेरिफिकेशन कल (29 अक्टूबर) तक पूरा होने की संभावना है और ये आधिकारिक स्वीकृति के लिए जरूरी कदम है. एक बार सत्यापन पूरा हो जाने पर भारत और चीन दोनों इन क्षेत्रों में तनाव खत्म होने की पुष्टि करेंगे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार (27 अक्टूबर) को घोषणा की कि भारत और चीन जल्द ही लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त फिर से शुरू करेंगे, जो सीमा गतिरोध शुरू होने से पहले अप्रैल 2020 की व्यवस्था को बहाल करेगी।
भारत-चीन के बीच सीमा समझौता सकारात्मक कदम:रूसी राजदूत
भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने भारत-चीन के बीच सीमा मुद्दे पर हुए समझौते को द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया। उन्होंने हाल ही में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक का भी स्वागत किया। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने पत्रकारों से बात की। भारत-चीन के बीच सीमा मुद्दे पर हुए समझौते को लेकर अलीपोव से सवाल किया गया। उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में एक सकारात्मक प्रगति है।” बता दें कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने 23 अक्तूबर को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त और सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर हुए समझौते का समर्थन किया था। पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक के बारे में पूछे जाने पर रूसी राजदूत ने कहा, “हमने इसमें कोई भूमिका नहीं निभाई है, लेकिन हमें खुशी है कि यह कजान में हुई।