अजरबैजान । जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) फ्रेमवर्क कन्वेंशन (कॉप-29) के पक्षकारों का 29वां सम्मेलन सोमवार 11 नवंबर से 22 नवंबर तक अजरबैजान के बाकू में चलेगा। इस वर्ष के संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के मेजबान अजरबैजान ने सोमवार को सभी देशों से लंबित मुद्दों को तत्काल सुलझाने की अपील की। उनकी ओर से विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए एक नए जलवायु वित्त लक्ष्य पर सहमत होने का आह्वान किया गया। संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में अपना भाषण देते हुए COP29 के अध्यक्ष मुख्तार बाबायेव ने कहा कि वर्तमान नीतियां दुनिया को 3 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की ओर ले जा रही हैं, जो अरबों लोगों के लिए विनाशकारी होगा।यह सम्मेलन देशों के लिए पेरिस समझौते के तहत अपनी अपडेटेड राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं को पेश करने का अहम पल भी होगा,जो 2025 की शुरुआत तक पेश की जानी हैं। अगर सही तरीके से इस पर अमल किया जाए, तो ये योजनाएं वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस के दायरे में ला देंगी।मार्च 1995 जर्मनी के बर्लिन में हुई कॉप की पहली बैठक कॉप यानी कॉन्फ्रेस ऑफ द पार्टीज जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पक्षों का सम्मेलन है। पार्टीज वह देश हैं जिन्होंने 1992 में यूएन के जलवायु समझौते पर दस्तखत किए थे।कार्बन ऑफसेट क्रेडिट कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए एक प्रमाणपत्र होता है। कुछ सरकारें और कंपनियां अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को सीधे कम करने में असमर्थ होती हैं।ऐसे में कार्बन ऑफसेट क्रेडिट के जरिये कहीं और ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए भुगतान कर सकते हैं जो सोलर पैनल लगाकर, पौधे लगाने जैसे उपाय करके उत्सर्जन को घटाते हैं।2015 में पेरिस समझौते में वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस कम रखने और धरती के तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस के दायरे में रखने के लिए 200 देशों ने मंजूरी दी थी। समझौते का अनुच्छेद 6 विकासशील देशों को जलवायु वित्त देने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र माना जाता है। समझौते का यह अनुच्छेद देशों को अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए मिलकर काम करने में मदद करता है।