भावनगर
जब दिवाली की छुट्टियां आती हैं तो जाने की जगह और गांव तय करने से पहले होमटाउन यानी गांव की याद आती है। शहर की शाम गाडिय़ों का शोर है, चाय, पान के केबिन में अधिक लाइनें लगती हैं और मोबाइल फोन का महत्व है। जब गांव की शाम होती है तो चरवाहे अपनी गायों ले जा रहे होते हैं। रास्ते में पक्षियों की मधुर चहचहाहट कानों को बहुत सुंदर लगती है। सूर्यास्त के समय सूरज आसमान को अलग-अलग रंगों से भर देता है और मन को मंत्रमुग्ध कर देता है, जिससे गांव की शामें यादगार बन जाती है।