जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विस्तार करने की मांग दोहराई है। उन्होंने ये भी कहा कि सुरक्षा परिषद में बदलाव की रफ्तार बेहद धीमी है और भारत इससे बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है। भारतीय राजदूत ने कहा कि कई ऐसे देश हैं, जो चाहते हैं कि यथास्थिति बरकरार रहे और खासकर वे अपने पड़ोसी देश को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने से रोकने के लिए कुछ भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। भारतीय राजदूत का यह बयान पाकिस्तान और चीन पर निशाना माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कोलंबिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स के एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कही। उन्होंने कहा कि ‘संयुक्त राष्ट्र अच्छा काम कर रहा है, खासकर मानवीय मदद के क्षेत्र में और संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों के स्वास्थ्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य और श्रम क्षेत्र में शानदार काम किया है, लेकिन एक आम आदमी ऐसा मानता है कि संयुक्त राष्ट्र का काम मानवीय मदद करने से ज्यादा वैश्विक संघर्षों को रोकना है। वह इसी पैमाने पर संयुक्त राष्ट्र के काम को तोलता है।’ भारतीय राजदूत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव होने चाहिए। हरीश ने कहा कि ‘सुरक्षा परिषद में बदलाव और इसमें विस्तार जरूरी है, लेकिन कई देश यथास्थिति बरकरार रखना चाहते हैं। जिनके पास पहले से स्थायी सदस्यता है, वो छोड़ने को तैयार नहीं हैं और न ही वीटो पावर छोड़ने के लिए राजी हैं। कुछ देशों को लगता है कि उनके पड़ोसी देश को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट मिल सकती है तो वो किसी भी कीमत पर इसे रोकने की कोशिश करते हैं।’ पाकिस्तान द्वारा भारत और जी4 देशों ब्राजील, जर्मनी और जापान की सदस्यता का विरोध किया जा रहा है। हालांकि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका भारत को परिषद में स्थायी सीट देने के लिए तैयार हैं। भारतीय राजदूत ने कहा कि सुरक्षा परिषद में बदलाव आसान नहीं है और इसमें काफी वक्त लग सकता है, लेकिन यह एक दिन जरूर होगा।
भारत-पाकिस्तान के बीच आतंकवाद सबसे प्रमुख मुद्दा
कोलंबिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका विषय ‘प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का जवाब: भारत का तरीका’ था। इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत पर्वतनेनी हरीश भी शामिल हुए। कार्यक्रम में जब भारतीय राजदूत से पाकिस्तान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ संपर्क करने और बातचीत करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत में पाकिस्तान की तरफ से जारी आतंकी गतिविधियों ने विश्वास को खत्म कर दिया है। पाकिस्तान के साथ बातचीत में पहला मुद्दा आतंकवाद का खात्म है और यह एक अहम मुद्दा है।’अपने संबोधन में हरीश ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक मंच पर आतंकवाद एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘भारत लंबे समय से सीमा पार और वैश्विक आतंकवाद का शिकार रहा है। आतंकवाद मानवता के ‘अस्तित्व के लिए खतरा’ है, जिसकी कोई सीमा नहीं है, कोई राष्ट्रीयता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद का मुकाबला केवल अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से ही किया जा सकता है।’ आतंकवाद से निपटने में भारत के तरीकों को रेखांकित करते हुए हरीश ने कहा कि देश का फोकस आतंकवाद से निपटने के लिए अपने अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों को साथ लेकर चलने पर रहा है, क्योंकि भारत इस संकट के प्रति शून्य सहिष्णुता रखता है।