भावनगर। सत्संग में त्याग बिना उन्नति संभव नहीं। परिचय प्रतीति प्राप्ति सत्संग से मिलेगी। सत्संग से ही विवेक प्रगटेगा, यह अमृतवाणी पालीवाल भुवन में चल रहे श्रीमदï् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में भावी आचार्य पूज्य नुगेन्द्र प्रसाद महाराज ने परोसी थी। उन्होंने कहा कि आचरण से चरण पुजाय, सत्संग के विवेकवर्धन होता है तथा व्यासपीठ है। कृष्ण की कथा मनुषअय की वेतना को विसराये, शास्त्र शव्य बक्शे परन्तु परम सत्य संत के स्पर्श से मिले। व्यासपीठ पर विराजमान लोकवेदना के कथाकार पूज्य शास्त्री स्वामी घनश्याम वल्लभदास (गढडा) ने कहा कि कृष्ण की माधुर्य लीला से मानव का जीवन मधुरता से ओतप्रोत रहेगा। शब्द संसारियों की स्तुति करने के बदले उसके सर्जनहार की स्तुति करें तभी शब्द मंत्र बनता है। कृष्ण के प्रारंभ में गढडा (स्वामी) के प्रखर गौभक्त संजय भगत ने साधु-संतों, श्रेष्ठियों का स्वागत सत्कार किया था। श्रीकृष्ण महोत्सव का समग्र संचालन प्रभावक कथाकार गवैया स्वामी कर रहे हैं।

