क्रिश्चियन धर्म अपनाया, अब नौकरी के लिए हिंदू होने का दावा सही नहीं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन को लेकर अहम फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि बिना किसी धर्म पर सच्चा भरोसा करे सिर्फ आरक्षण का फायदा पाने के लिए किया गया मतांतरण संविधान के साथ धोखा है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल और आर महादेवन की बेंच ने 26 नवंबर को इससे जुड़े एक मामले में सुनवाई की। दरअसल, यह पूरा मामला एक महिला सी. सेल्वारानी से जुड़ा है, जिसे एक ईसाई मां ने जन्म दिया था, हालांकि उसके पिता तब हिंदू थे और वल्लुवन जाति से आते थे, जो कि अनुसूचित जाति से आते थे। सेल्वारानी की आस्था शुरुआत से ही ईसाई धर्म में रही, लेकिन 2015 में उसने पुडुचेरी में उच्च संभागीय क्लर्क पद पर आवदेन के लिए खुद के हिंदू होने का दावा किया था और अपने लिए एससी सर्टिफिकेट की मांग की थी। इसी मामले पर दो जजों की बेंच ने सेल्वारानी की याचिका को नकारते हुए मद्रास हाईकोर्ट का 24 जनवरी का फैसला बरकरार रखा। उच्च न्यायालय ने इस मामले में सेल्वारानी की अनुसूचित जाति से जुड़े प्रमाणपत्र की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।