तेल अवीव। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक्स पर पोस्ट करके इस बात की जानकारी दी कि इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर हो गया है. उन्होंने बताया कि मिडिल ईस्ट से एक अच्छी खबर आ रही है. लेबनान और इजरायल दोनों के प्रधानमंत्रियों से उनकी बात हुई है और दोनों ही सीजफायर के अमेरिकी प्रस्ताव पर सहमत हैं. वे इस विनाशकारी युद्ध को समाप्त करने के इच्छुक हैं. अल जजीरा के अनुसार सीजफायर समझौते के तहत यह तय हुआ है कि अगले 60 दिनों में इजरायल दक्षिणी लेबनान से अपनी सेना को धीरे-धीरे वापस बुला लेगा और लेबनानी सेना और राज्य सुरक्षा बल इस क्षेत्र में तैनात होंगे. आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल-लेबनान सीमा से लगभग 40 किलोमीटर पीछे हट जाएगा. हिजुबल्लाह के हटने के बाद इस क्षेत्र की सुरक्षा लेबनानी सशस्त्र बल करेगा और यह भी देखेगा कि हिजबुल्लाह के सभी हथियार और गोला-बारूद वहां से हटा दिए जाएं.
समझौते में यह भी कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र शांति सेना, लेबनानी सेना और एक बहुराष्ट्रीय समिति हिजबुल्लाह पर कड़ी नजर रखेगी ताकि वह समझौते का उल्लंघन ना करे. सीजफायर के बाद विस्थापित अपने घर लौटेंगे और बीमारों को इलाज मिलेगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 1701 के तहत एक बार फिर इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच सीजफायर की कोशिश की गई है. संकल्प 1701 का निर्माण 2006 में किया गया था, जिसका उद्देश्य इजरायल और हिजबुल्लाह के युद्ध को रोकना था. इस संकल्प में दोनों गुटों के बीच स्थायी युद्धविराम की मांग की गई थी. इस समझौते के तहत बफर जोन बनाने की पहल भी की गई है. इजरायल ने अमेरिका के सीजफायर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. उनके सुरक्षा मंत्रिमंडल ने 10-1 से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री नेतन्याहू की तरफ से यह कहा गया है कि वे अमेरिका के प्रस्ताव की प्रशंसा करते हैं. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि इजरायल अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हमले पर जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार रखता है।
उन्होंने यह कहा है कि अगर हिजबुल्लाह युद्ध विराम के समझौते का उल्लंघन करेगा, तो इजरायल उसपर हमला करने के लिए स्वतंत्र है. हिजबुल्लाह प्रत्यक्ष तौर पर समझौते का हिस्सा तो नहीं बना है,लेकिन उनकी ओर से लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने युद्ध विराम का स्वागत किया. वही अल जजीरा के साथ बातचीत में हिजबुल्लाह ने कहा है कि वे क्षेत्र से युद्ध समाप्त करना चाहते हैं लेकिन अपने देश की संप्रुभता की कीमत पर नहीं. इजरायल और हिजबुल्लाह ने जिस तरह से अपनी-अपनी बात रखी है, उससे यह कहना जल्दबाजी ही होगी कि मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति स्थापित हो गई है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसका स्वागत करते हुए कहा है कि इससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी। बातचीत और कूटनीति से समाधान संभव है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हम इस सीजफायर का स्वागत करते हैं। भारत ने हमेशा संघर्ष में कमी लाने, संयम बरतने और बातचीत एवं कूटनीति के जरिए समस्या का समाधान निकालने की बात कही है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इससे व्यापक क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता आएगी।