प्रधानमंत्री मोदी ने प्रयागराज में महाकुम्भ से पहले 5500 करोड़ की 167 परियोजनाओं का किया लोकार्पण
प्रयागराज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयागराज में हैं। यहां उन्होंने महाकुंभ के लिए कलश स्थापित किया। साथ ही 5700 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का शिलान्यास-उद्घाटन किया। पीएम का हेलिकॉप्टर साढ़े 11 बजे बमरौली एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। वहां से अरैल घाट पहुंचे, फिर निषादराज क्रूज में सवार होकर संगम तट पर गए। यहां साधु-संतों से मुलाकात के बाद संगम नोज पर 30 मिनट गंगा पूजन किया। गंगा को चुनरी और दूध चढ़ाया। पीएम ने अक्षयवट की परिक्रमा की। इसके बाद लेटे हनुमान जी की आरती उतारी, फिर भोग अर्पित किया। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और सीएम योगी पीएम के साथ हैं। गांवों, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकल पड़ते हैं। सामूहिकता की ऐसी शक्ति, ऐसा समागम शायद ही कहीं ओर देखने को मिले। यहां आकर संत-महंत, ऋषि-मुनि, ज्ञानी-विद्वान, सामान्य मानवी सब एक हो जाते हैं, सब एक साथ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। यहां जातियों का भेद खत्म हो जाता है, सम्प्रदायों का टकराव मिट जाता है। करोड़ों लोग एक ध्येय, एक विचार से जुड़ जाते हैं। कुंभ जैसे भव्य और दिव्य आयोजन को सफल बनाने में स्वच्छता की बहुत बड़ी भूमिका है। महाकुंभ की तैयारियों के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया गया है, प्रयागराज शहर के सैनिटेशन और वेस्ट मैनेजमेंट पर फोकस किया गया है। लोगों को जागरूक करने के लिए गंगादूत, गंगा प्रहरी और गंगा मित्रों की नियुक्ति की गई है। इस बार 15 हजार से ज्यादा मेरे सफाईकर्मी भाई-बहन कुंभ की स्वच्छता को संभालने वाले हैं। पीएम ने कहा- जब संचार के आधुनिक माध्यम नहीं थे, तब कुम्भ जैसे आयोजनों ने बड़े सामाजिक परिवर्तनों का आधार तैयार किया था। कुंभ में संत और ज्ञानी लोग मिलकर समाज के सुख-दुख की चर्चा करते थे। वर्तमान और भविष्य पर चिंतन करते थे। आज भी कुंभ जैसे बड़े आयोजनों का महात्मय वैसा ही है। ऐसे आयोजनों से देश के कोने-कोने में, समाज, देश में सकारात्मक संदेश जाता है, राष्ट्र चिंतन की धारा निरंतर प्रवाहित होती है। यह गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा जैसी अनगिनत पवित्र नदियों का देश है। इन नदियों के प्रवाह की पवित्रता, इन तीर्थों का जो महत्व, महात्मय है, उनका संगम है, उनका योग, उनका संयोग, उनका प्रभाव, उनका प्रताप, यह प्रयाग है। जो व्यक्ति प्रयागराज में स्नान करता है, वह हर पापों से मुक्त हो जाता है। राजा-महाराजाओं का दौर हो या सैकड़ों वर्षों की गुलामी का कालखंड, आस्था का यह प्रवाह कभी नहीं रुका। इसकी एक बड़ी वहज यह रही है कि कुंभ का कारक कोई बाहरी शक्ति नहीं है।