नई दिल्ली
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की पुस्तक ‘द नेहरू डेवलपमेंट मॉडल’ के विमोचन के मौके पर शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री की नीतियों को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि ‘नेहरू विकास मॉडल’ ने ही ‘नेहरू विदेश नीति’ को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि देश के साथ- साथ सरकार विदेशों में भी इस नीति को सुधारने का काम कर रही है। जयशंकर ने कहा कि लेखक का मानना है कि नेहरू के विकल्पों ने भारत को एक निर्धारित रास्ते पर डाल दिया। उन्होंने बताया कि इस मॉडल और उससे जुड़ी विचारधारा ने राजनीति, प्रशासन, न्यायपालिका, मीडिया और शिक्षा तक को प्रभावित किया है। जयशंकर ने कहा कि रूस और चीन दोनों ने आज उस समय के आर्थिक विचारों को स्पष्ट रूप से नकार दिया है। जिन्हें नेहरू ने बढ़ावा दिया था। ये विचार आज भी हमारे देश के प्रभावशाली वर्गों में जीवित हैं। उन्होंने कहा 2014 के बाद दिशा को सही करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह एक कठिन काम है। जयशंकर ने अमेरिकी नीति निर्माता जॉन फोस्टर डलेस का 1947 में दिया गया बयान बोलते हूए का कि उस समय की सरकार को वह अधिक गलत नहीं कर सकते थे, लेकिन यह एक दावा था जिसे दशकों तक अमेरिकी नीति निर्माताओं ने सही माना। उन्होंने कहा कि मैने कई बार खुद से पूछा कि क्या डलेस पूरी तरह से गलत थे। पनगढ़िया की किताब में उन्हें इसका उत्तर मिला। उन्होंने कहा कि भारत के लिए विशेष आर्थिक मॉडल को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत वैचारिक प्रेरणा थी। उस विश्वास को समय-समय पर बदला गया, लेकिन कभी पूरी तरह से नहीं बदला गया। जयशंकर ने बताया कि इसका मूल कारण यह था कि साम्राज्यवाद का सामना करने के लिए समाजवाद ही एकमात्र रास्ता था। यह विचार भारी उद्योगों पर केंद्रित था। इसी कारण पनगढ़िया ने इसे नेहरू विकास मॉडल के रूप में परिभाषित किया। जयशंकर ने कहा कि पिछले 33 वर्षों में भारत ने खुलेपन से फायदा उठाया है, लेकिन आज की स्थिति पहले से कहीं अधिक जटिल है। उन्होंने कहा कि सावधानी से खुलापन एक अच्छा तरीका हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने आत्मनिर्भरता पर कहा कि इसे संरक्षणवाद के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और खुद से सोचने और काम करने का आह्वान है।