नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि विकास, राष्ट्रवाद, सुरक्षा, लोगों का कल्याण और सकारात्मक सरकारी योजनाओं को केवल संविधान की प्रस्तावना के नजरिए से देखा जाना चाहिए।सातवें रक्षा संपदा दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने मंच पर अपनी स्थिति का भी जिक्र किया, जहां उनके साथ उनकी दाहिनी ओर रक्षा क्षेत्र के महानिदेशक और बाईं ओर पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के सचिव मौजूद थे। उन्होंने कहा, ‘जब मैं यहां (मंच) केंद्रीय सीट पर बैठा तो मुझे राज्यसभा के सभापति के रूप में अपनी स्थिति की याद आ गई। जब मैं (राज्यसभा में) पीठासीन होता हूं तो मेरे दाहिनी ओर सरकार होती है और बाईं ओर विपक्ष होता है।’उपराष्ट्रपति ने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘यहां दाईं ओर रक्षा संपदा के महानिदेशक हैं। मुझे यकीन है, मुझे उनसे कोई समस्या नहीं है और सौभाग्य से मेरे बाईं ओर पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के सचिव हैं, जो रचनात्मक, दिशात्मक, प्रेरक और हमेशा मददगार हैं।’धनखड़ ने कहा, ‘मैं आज संसद के उच्च सदन में यह संदेश लेकर जा रहा हूं, जहां हम संविधान पर बहस शुरू करने वाले हैं। हम 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाने के शताब्दी के अंतिम चौथाई भाग में प्रवेश कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि वह वास्तव में लोगों के आभारी हैं कि उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनका दिन ‘आशा और आशावाद’ के साथ शुरू हो। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जो आशा और संभावनाओं से भरा हुआ है। एक ऐसा देश, जिसमें संभावनाएं हैं। एक ऐसा देश, जो आगे बढ़ रहा है, एक ऐसा देश, जिसे कोई रोक नहीं सकता। शासन के हर पहलू में यह वृद्धि देखी गई है, चाहे वह समुद्र हो, जमीन हो, आकाश हो या अंतरिक्ष हो।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं कहूंगा ‘यही समय, सही समय है’। हालांकि लोग इसमें राजनीति देख सकते हैं। मगर, यहां मैं आप सभी से अपील कर सकता हूं, विकास, राष्ट्रवाद, सुरक्षा, आम लोगों का कल्याण, सकारात्मक सरकारी योजनाएं, सभी को केवल एक ही नजरिए से देखा जाना चाहिए और वह है हमारे संविधान की प्रस्तावना के नजरिए से।’उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज को इसकी सराहना करने की जरूरत है। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का हवाला देते हुए कहा, ‘हमारे अलावा और कौन देश पर गर्व करेगा। लेकिन, यह कैसी विडंबना है कि कुछ लोग अज्ञानता के कारण ऐसा नहीं करते। लेकिन, एक बात तो तय है कि हमारी प्रगति की गति निरंतर बढ़ रही है।’