इस धरती पर सभी का पेट भरने का कार्य किसान करते हैं, किसान सबसे बड़े परोपकारी हैं: राज्यपाल
भावनगर। राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता में आज भावनगर के बगदाणा में राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया गया। श्री बजरंगदासजी सीताराम सनातन संस्थान-बगदाणा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस धरती पर सबका पेट भरने का कार्य किसान करते हैं, किसान सबसे बड़े परोपकारी हैं। उन्होंने आने वाली पीढ़ी की भलाई के लिए किसानों से प्राकृतिक कृषि अपनाने की अपील की। राज्यपाल ने पूज्य बजरंगदास बापा को याद करके उनकी परोपकारी प्रवृत्तियों की सराहना की और बालकों को उच्च शिक्षा अपनाने का अनुरोध किया। राज्यपाल ने कहा कि किसानों को इस बात का डर होता है कि रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करेंगे तो उत्पादन घट जाएगा। लेकिन प्राकृतिक खेती से उत्पादन घटता नहीं है बल्कि बढ़ता है। प्राकृतिक खेती में गाय के गोबर और गोमूत्र को वरदान करार देते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए राज्य सरकार ने अभियान चलाया है। इसके कारण आज राज्य में लाखों किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को सफल बनाने में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है। गुजरात में भी प्राकृतिक खेती के लिए महिलाएं आगे आएं, इसके लिए उनको तालिम दी जा रही है। प्राकृतिक कृषि सखी सखी के तौर पर गांव की अन्य महिला किसान बहनों को तालिम देने वाली बहनों को प्रतिमाह पारिश्रमिक भी दिया जाएगा। राज्यपाल ने किसानों के साथ संवाद करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती करने वाले भावनगर के किसान नरसिंह भाई एक बीघा जमीन में से प्रतिवर्ष तीन लाख की आय प्राप्त करते हैं। जबकि कच्छ के किसान रतिभाई एक एकड़ जमीन में से आठ-दस लाख की आय अर्जित करते हैं। राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने कहा हमारे ऋषि-मुनियों ने वेदों में भी ‘गावो विश्वस्य मातरम’ कहा है। गाय हमारी माता है परन्तु हमने धरती पर अंधाधुंध रासायनिक खादों का उपयोग करके धरती को बर्बाद कर दिया है और उसे पत्थर जैसी बंजर बना दी है। उन्होंने प्राकृतिक कृषि के बारे में किसानों को मार्गदर्शन देते हुए कहा देसी गाय के एक ग्राम गोबर में तीन लाख सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। सूक्ष्म जीवाणुओं से धरती का ऑर्गेनिक कार्बन बनता है। धरती को उर्वरक और उपजाऊ बनाने का कार्य सूक्ष्म जीवाणु और केंचुए करते हैं। केंचुए किसानों के लिए रात-दिन काम करते हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि केंचुए किसानों के लिए जीते हैं और किसानों के लिए मरते हैं। परंतु हम रासायनिक खाद का अंधाधुंध उपयोग करके उन्हें मारने का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में, जब हरित क्रांति की जरुरत थी तब वैज्ञानिकों ने एक हेक्टेयर जमीन में 13 किलोग्राम नाइट्रोजन उपयोग करने की सलाह दी थी। लेकिन हमने उसका अत्यधिक उपयोग करके धरती को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है। रासायनिक खाद यूरिया-डीएपी के बहुत ज्यादा छिड़काव से जलवायु परिवर्तन के लिए खतरनाक जहरीली गैस उत्पन्न होती है। इससे पर्यावरण को नुकसान होता है। आज अमेरिका जैसे ठंडे देश में धरती का तापमान बढ़ रहा है, जो समग्र विश्व के लिए चिंता का विषय है। राज्यपाल ने प्राकृतिक कृषि को सरल भाषा में समझाते हुए कहा कि जंगल के वृक्षों को खाद-पानी कोई नहीं देता, फिर भी वह हरेभरे होते हैं। यह नियम जंगलों पर लागू होता है तो वही नियम हमारे खेतों में भी लागु होता है। उन्होंने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने का अनुरोध किया। इस अवसर पर बगदाणा गुरुआश्रम के ट्रस्टी धीरूभाई बाबरिया, जनकभाई काछड़िया, कलक्टर आर. के. मेहता, इंचार्ज जिला विकास अधिकारी डीएम. सोलंकी, पुलिस अधीक्षक हर्षद पटेल सहित जिले के उच्च अधिकारी, पदाधिकारी और भारी संख्या में किसान भाई-बहन उपस्थित रहे।