नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) लगातार यह मांग करती रही है कि हिंदू मंदिरों को सरकारों के नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए। लेकिन अब एक राष्ट्रव्यापी अभियान के जरिए वह मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण को समाप्त करने के लिए अभियान चलाएगी। इसके लिए दक्षिण भारत का चयन किया गया है। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से आगामी पांच जनवरी से एक बड़े अभियान की शुरुआत की जा सकती है जिसे पूरे देश में ले जाया जाएगा और पूरे देश की सरकारों से मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का अनुरोध किया जाएगा। इसके बाबत संगठन की तरफ से जल्द ही विस्तृत योजना की घोषणा की जा सकती है। दरअसल, आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम में पशुओं की चर्बी पाए जाने का मामला सामने आया था जिस पर पूरे देश में कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी। इसके बाद कुछ अन्य मंदिरों के प्रसादों के भी अशुद्ध किए जाने का मामला सामने आया था। इसके बाद से ही हिंदू मंदिरों पर से सरकारों के नियंत्रण को समाप्त करने की मांग उठने लगी। विहिप का कहना है कि मुस्लिम समाज के मस्जिद हों या इसाइयों के गिरिजाघर, किसी भी धर्मस्थल पर किसी सरकार का नियंत्रण नहीां होता। इन पूजा स्थलों की देखरेख इसी समाज के लोग करते हैं। लेकिन हिंदुओं के मंदिरों पर सरकारों का नियंत्रण होता है। विहिप की मांग रही है कि हिंदू समाज के मंदिरों से प्राप्त आय को सरकार दूसरे धर्मों के लोगों के ऊपर खर्च करती रही है, जबकि यह पैसा हिंदू समाज का है और इसे हिंदू समाज की भलाई के लिए ही खर्च किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाने के पहले विहिप ने इसके लिए देश के सभी राज्यपालों से मिलकर भी इस पर एक ज्ञापन सौंपा था।
इस ज्ञापन में राज्यपालों को अपनी सरकारों से मंदिरों पर से कब्जा समाप्त किए जाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था। दूसरे चरण में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू से मिलकर मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का अनुरोध किया गया था। विहिप का मानना है कि मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण सीधे-सीधे संविधान का उल्लंघन है। संविधान में किसी भी धर्म को अपने तरीके से मनाने, इसके प्रचार-प्रसार करने की अनुमति दी गई है। लेकिन इसके बाद भी विभिन्न राज्य सरकारों ने मंदिरों पर कब्जा कर लिया है। संविधान में सबके साथ बराबरी का व्यवहार करने की बात भी कही गई है, लेकिन इसके उलट राज्य सरकारें मुस्लिम और ईसाई धर्म के पूजा स्थलों के साथ अलग व्यवहार कर रही हैं, जबकि हिंदू धर्म के मंदिरों पर कब्जा जमाए बैठी हैं। विहिप का मानना है कि यह संविधान की बराबरी के नियम का उल्लंघन है।