वडोदरा
वडोदरा जिले के रामपुरा गांव में रहने वाले लाभार्थी 38 वर्षीय अल्पेशभाई पढियार को वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान किडनी की बीमारी हो गई थी। इस दौरान उन्हें थकान महसूस होती थी, भूख कम लगती थी और ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगी थी। इसके बाद वे अपनी बीमारी की जांच करवाने के लिए पादरा स्थित एक निजी अस्पताल गए। निजी अस्पताल के डॉक्टर ने उन्हें बताया कि अल्पेशभाई को किडनी से संबंधित बीमारी है। डॉक्टरों ने कहा कि अल्पेश को अपनी किडनी साफ करवाने के लिए मशीन से गुजारना होगा (डायलिसिस) और उसे नई किडनी लगाने की भी जरूरत है (किडनी ट्रांसप्लांट)। अल्पेश बहुत डर गया था। लेकिन उसके माँ-बाप ने उसे हिम्मत दी और कहा कि वे उसे अपनी किडनी दे देंगे। फिर उसकी माँ ने अपनी किडनी अल्पेश को देकर उसे नया जीवन दिया।
लाभार्थी अल्पेशभाई पढियार ने सरकार की योजनाओं की प्रशंसा करते हुए बताया कि, मुझे वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान किडनी की बीमारी हो गई थी। तब मैंने एक निजी अस्पताल में जांच करवाई थी। जिसमें मुझे पता चला था कि मुझे किडनी ट्रांसप्लांट करवाना होगा और इसके लिए लाखों रुपये का खर्च बताया गया था। तब मेरे परिवार के लोगों ने मुझे तुरंत निजी अस्पताल में भर्ती करवाया था। वहां से मुझे आयुष्मान कार्ड बनवाया गया। उसके बाद जब मैं निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुआ तो वहां के डॉक्टर ने मुझे बताया कि इलाज का खर्च 11 लाख रुपये से अधिक आएगा। मैं और मेरा परिवार बहुत चिंतित हो गए थे क्योंकि हमारे लिए इतने पैसे जुटाना बहुत मुश्किल था। तब हमने डॉक्टर को बताया कि हमारे पास आयुष्मान कार्ड है। तब उन्होंने कहा कि आयुष्मान कार्ड के आधार पर इलाज मुफ्त होगा।