इससे दुनिया में मेरा सिर ऊंचा रहता है, आप भविष्य में मेड इन इंडिया प्लेन से भारत आएंगे,मोदी ने प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस को भी हरी झंडी भी दिखाई
भुवनेश्वर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार भुवनेश्वर में 18वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। आयोजन स्थल पर मौजूद लोगों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा- मैंने हमेशा भारतीय डाइस्पोरा को भारत का राष्ट्रदूत माना है। मुझे खुशी होती है जब दुनिया में आप सभी साथियों से बात करता हूं। जो प्यार मिलता है उसे भूल नहीं सकता।प्रधानमंत्री ने कहा, आपका स्नेह आशीर्वाद मेरे साथ रहता है। मैं सभी का निजी तौर पर आभार करता हूं। आपको थैंक यू भी बोलना चाहता हूं। वो इसलिए क्योंकि आपकी वजह से मुझे दुनिया में गर्व से सिर ऊंचा रखने का मौका मिलता है। बीते दस साल में मेरी दुनिया के अनेक लीडर से मुलाकात हुई है। अपने देश के भारतीय डाइस्पोरा की बहुत प्रशंसा करता हूं। इसका एक बड़ा कारण वो सोशल वैल्यूज हैं जो आप सभी वहां की सोसाइटी में दिखाते हैं। हम सिर्फ मदर ऑफ डेमोक्रेसी ही नहीं हैं बल्कि जीवन का हिस्सा हैं।पीएम मोदी ने प्रवासियों के दिलों में धड़कते भारत की बात की। बोले, भारतीय हर जगह जुड़ जाते हैं, हमें विविधता सिखानी नहीं पड़ती, हमारा जीवन ही इससे चलता है। इसलिए भारतीय जहां भी जाते हैं, वहां की सोसाइटी से जुड़ जाते हैं। जहां जाते हैं, वहां के नियमों और परम्पराओं की इज्जत करते हैं। देश की सेवा करते हैं। विकास में योगदान करते हैं। इनके बीच हमारे दिल में भारत भी धड़कता रहता है। हम भारत की हर खुशी में खुश होते हैं। उत्सव मनाते हैं। 21वीं सदी का भारत जिस गति से आगे बढ़ रहा है, जिस गति से विकास के काम हो रहे हैं, वह अभूतपूर्व है।प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की बात कही। बोले, “यह समय उत्सव का है। हम महाकुंभ, मकर संक्रांति, लोहड़ी और पोंगल जैसे पर्वों के बीच एकत्र हुए हैं, जो हमारे समाज की विविधता और एकता को प्रदर्शित करते हैं।”उन्होंने याद दिलाया कि 9 जनवरी 1915 को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे और तब से यह दिन विशेष रूप से मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने भारत के विकास की गति पर जोर देते हुए कहा, “बीते 10 वर्षों में भारत ने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है और आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह अभूतपूर्व सफलता है और हम आगे बढ़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं।”उन्होंने कहा, “आज भारत का चंद्रयान अपनी सफलता की ओर बढ़ रहा है, हम नवीकरणीय ऊर्जा, मेट्रो, बुलेट ट्रेन, और मेड इन इंडिया उत्पादों के साथ प्रगति की नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहे हैं। यह सभी कारक भारत के वैश्विक प्रभाव को मजबूत कर रहे हैं।”प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “भारत की सफलता को अब दुनिया देख रही है और हमारे विकास की दिशा का सम्मान किया जा रहा है। हमारा देश न केवल अपने मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाता है, बल्कि वैश्विक दक्षिण की आवाज भी बनता है।”कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, अश्विनी वैष्णव, शोभा करांदे, कीर्ति वर्धन सिंह, ओडिशा सरकार के उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव और अन्य मंत्रीगण, सांसद तथा विधायकों सहित हजारों प्रवासी भारतीय उपस्थित थे। पीएम मोदी ने प्रवासी भारतीयों को ध्यान में रखकर शुरू की गई स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई। यह ट्रेन दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से चली और तीन सप्ताह तक कई पर्यटक स्थलों तक जाएगी।
भविष्य युद्ध में नहीं, बुद्ध में
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज आप ओडिशा की जिस महान धरती पर जुटे हैं वो भी भारत की समृद्ध विरासत का प्रतिबिंब है। ओडिशा में कदम कदम पर हमारी विरासत के दर्शन होते हैं। सैकड़ों वर्ष पहले भी ओडिशा से हमारी व्यापारी कारोबारी लंबा सफर करके बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानों तक जाते थे…ओडिशा में आज भी बाली यात्रा का आयोजन होता है।उन्होंने कहा कि दुनिया में जब तलवार के जोर पर साम्राज्य बढ़ाने का दौर था, तब हमारे सम्राट अशोक ने यहां शांति का रास्ता चुना था। हमारी इस विरासत का ये वही बल है जिसकी प्रेरणा से आज भारत दुनिया को कह पाता है कि भविष्य युद्ध में नहीं है, बुद्ध में है।
त्रिनिदाद-टोबैगो की राष्ट्रपति बोलीं- विश्व सभ्यता में भारत अहम, परदेसी हुए ओडिशा के कायल
ओडिशा में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस, 2025 सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करते हुए त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू ने गुरुवार को कहा कि भारत और उसके लोगों ने ‘दुनिया के विकास में सबसे बड़ा योगदान दिया है’। उन्होंने कहा- ‘दुनिया के विकास में भारत का योगदान उल्लेखनीय है।’राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू ने आगे कहा, दुनिया का पहला विश्वविद्यालय 700 ईसा पूर्व तक्षशिला में स्थापित किया गया था।’ उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को चिकित्सा के पहले के स्कूल के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है, उन्होंने दावा किया कि नेविगेशन की कला का जन्म लगभग 6,000 साल पहले सिंधु नदी में हुआ था। उन्होंने कहा, ‘बीजगणित, त्रिकोणमिति और कलन भी सबसे पहले भारत में विकसित हुए थे।’ इसके अलावा, उन्होंने ने यह भी कहा कि भारत सभ्यता का पहला देश था जिसने अंकगणितीय संक्रियाओं में शून्य (0) चिह्न का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि दशमलव प्रणाली को व्यापक रूप से भारत में विकसित माना जाता है।