सोमनाथ है आदि देव सूर्यनारायण के मंदिरों की भूमि
प्रभास पाटण। मकर संक्रांति-प्रत्यक्ष दर्शन देते सृष्टि नियंता के मात्र देव सूर्य उपासना का महापर्व है। सूर्यदेव की पूजा वेदकाल से भारत में चलती आती परंपरा है। इस परंपरा के जीवंत साक्षी समान सूर्य मंदिर आज भी सोमनाथ महादेव की धरती पर बिराजमान हैं। स्कंर्ध पुराण कहना है कि प्रभास खंड लिखा गया तब प्रभास में 16 सूर्य मंदिर थे तथा सूर्यवंशी आर्य प्रभास के तीसरे उतरे तब उन्होंने प्रभास को भास्कर तीर्थ के रूप में नाम दिया था। जबकि वेदकाल पूर्व के अन्तर्गत सूर्यवंशी आर्य यहां समुद्र मार्ग से आकर स्थिर हुए तब भी प्रभास भास्कर तीर्थ तरीके पहचाना जाता था। प्रभास के भास्कर वैध कहते हैं कि प्रमाण भूत वरिष्ठों के पास बैठ सुनी बात के अनुसार प्रभास में सूर्य की सोलह कलाओं के सूर्योदय की प्रथम सीधी किरणें जिन पर पड़तीं ऐसे कलात्मक प्राचीन सोलह सूर्य मंदिर थे, जिनमें के हाल मात्र कुछ ही अस्तित्व में हैं। सोमनाथ का इतिहास लिखने वाले इतिहासकार शंभूप्रसाद देसाई द्वारा प्रभास एवं सोमनाथ में इन सूर्य मंदिरों के विषय में दी गई जानकारी के अनुसार पहले 16 सूर्य मंदिर थे, जिनमें से मात्र अब कुछ ही मंदिर अस्तित्व में हैं।