मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर स्थित बेंच ने बुधवार को महिला को सुसाइड के लिए उकसाने के मामले में फैसला दिया। कोर्ट ने कहा- सिर्फ इसलिए कि पुरुष ने रिलेशनशिप को खत्म कर दिया और फिर महिला ने सुसाइड कर लिया तो शख्स पर सुसाइड के लिए उकसाने का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के ने ऐसे ही मामले में 26 वर्षीय युवक को बरी किया। उस पर एक महिला को सुसाइड के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था। जिसके साथ वह 9 साल से रिलेशनशिप में था। उसने इस मामले में बुलढाणा जिले के खामगांव सेशन कोर्ट के बरी नहीं करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।जज ने कहा- जांच में कहीं भी ये नहीं है कि शख्स ने मृतक महिला को सुसाइड करने के लिए उकसाया था। सबूतों से पता लगा है कि ब्रेकअप के बाद भी दोनों के बीच बातचीत जारी थी। अगर शख्स ने उससे शादी करने से मना कर दिया था तो यह महिला को सुसाइड करने के लिए उकसाने या उसके बराबर नहीं होगा।बेंच ने कहा- न तो सुसाइड नोट और न ही वॉट्सएप चैट से यह पता चलता है कि उस शख्स ने शादी का वादा कर फिजिकल रिलेशन बनाए और उसके बाद उनका रिश्ता टूट हो। मृतका ने ब्रेकअप के तुरंत बाद सुसाइड नहीं किया था।उन्होंने कहा कि दोनों के बीच जुलाई 2020 में ही ब्रेकअप हो गया था जबकि मृतका ने 3 दिसंबर, 2020 को सुसाइड किया था। इसका मतलब है कि ब्रेकअप और सुसाइड के बीच कोई संबंध नहीं है।