दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को जमानत नहीं दी
नई दिल्ली(वी.एन.झा)। दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जेल में बंद सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।मामला जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के सामने सोमवार को सुनवाई के लिए लिस्ट था, लेकिन सुनवाई हो नहीं सकी।तब ताहिर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने मंगलवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया। इस पर जस्टिस मित्तल ने कहा- अब तो जेल में बैठकर चुनाव लड़ते हैं। जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। इन सभी को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। इस पर ताहिर के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि ताहिर का नामांकन स्वीकार किया जा चुका है। इस पर कोर्ट ने मामले को मंगलवार के लिए लिस्ट कर लिया।आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मुस्तफाबाद सीट से टिकट दिया है।
बेटे को अपने पिता को दफनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आना पड़ रहा है, ये दुखद’
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक बेटे को अपने पिता को दफनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आना पड़ रहा है, ये बेहद दुखद है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने रमेश बघेल नामक याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। रमेश बघेल ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दरअसल उच्च न्यायालय ने रमेश के पिता को, जो कि एक ईसाई पादरी थे, गांव के कब्रिस्तान में दफनाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ‘एक व्यक्ति को, जो उस गांव में रहा, उसे मृत्यु के बाद गांव के कब्रिस्तान में दफनाने क्यों नहीं दिया जा रहा है? शव बीती 7 जनवरी से मोर्चरी में रखा हुआ है।
ये कहते हुए दुख हो रहा है कि एक व्यक्ति को अपने पिता को दफनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आना पड़ रहा है। न तो पंचायत, न ही राज्य सरकार या उच्च न्यायालय कोई भी इस समस्या को सुलझा नहीं सका। हम उच्च न्यायालय की टिप्पणी से भी हैरान हैं कि इससे कानून व्यवस्था खराब होती।’