प्रभास पाटण
सोमनाथ स्वामीनारायण गुरुकुल में सोमनाथ-प्रभास पाटण के स्वामीजी एवं संतों की प्रेरक सत्संग सभा के साथ दिव्य शाकोत्सव का आयोजन किया गया। सत्संग सभा को सम्बोधित करते हुए प्रेमस्वरूपदास स्वामी शास्त्रीजी ने बताया कि शाकोत्सव की परंपरा केवल खाने के लिए नहीं, अपितु भगवान को प्राप्त करने, स्वास्थ्य कैसे ठीक रहे उसके लिए है। यह परंपरा आज से 200 वर्ष पूर्व स्वयं भगवान स्वामीनारायण ने शुरू की थी तथा बाजरा की रोटी अपने हाथों से बनाकर हरिभक्तों को प्रेमपूर्वक भोजन कराया था। उस समय सौराष्ट्र के लोया गांव में 18 मन घी एवं 60 टन बैंगन की सब्जी बनाकर हरिभक्तों को प्रेमपूर्वक भोजन कराया था। शाकाहार से स्वास्थ्य के लिए शीतऋतु में महत्त्वपूर्ण होता है ऐसी ही बाजरा में विशेष शक्ति ऊर्जा दी है। डीके स्वामी ने आए सभी भक्तों का स्वागत किया तथा शाकोत्सव का महत्त्व समझाया।