वडोदरा के हातिखाना इलाके में 2021 में एक युवती के साथ छेड़छाड़ हुई थी। जब पीड़िता के माता-पिता ने आरोपी को फटकार लगाई, तो आरोपी ने गुस्से में आकर युवती के पिता की हत्या कर दी। इस मामले में अदालत ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। शिकायतकर्ता की मां को सीने में दर्द हो रहा था। 17 मार्च 2021 को रात करीब 11:00 बजे एक महिला मामले की जानकारी लेने शिकायतकर्ता के घर पहुंची। इसके बाद शिकायतकर्ता और उसकी बहन अपने रिश्तेदार को सड़क किनारे छोड़ने गए। उस समय आरोपी वरुण उर्फ अरुण महेंद्रभाई पटेल (निवासी रामदेव पीर की मौसी, हाथीखाना, करेलीबाग) ने शिकायतकर्ता से कहा कि उसे मारना उसका काम है। शिकायतकर्ता ने मामले की जानकारी अपने माता-पिता को दी और शिकायतकर्ता के माता-पिता ने आरोपी के घर जाकर आरोपी की पत्नी को घटना की जानकारी दी। इसके बाद आरोपी हाथ में चाकू लेकर शिकायतकर्ता के घर में घुस गया, जिससे शिकायतकर्ता के पिता को अपनी जान बचाने के लिए घर से बाहर भागना पड़ा। इस दौरान आरोपियों ने शिकायतकर्ता के पिता के पेट में चाकू घोंप दिया और फरार हो गए। उन्हें तुरंत सयाजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने हत्या एवं अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। जिसके संबंध में विशेष न्यायाधीश अत्याचार मामले राजेन्द्र एच. प्रजापति की अदालत में सुनवाई हुई। जब अभियुक्त का विशेष बयान दर्ज किया गया तो अभियुक्त ने साक्ष्य के सभी तथ्यों को नकार दिया और अपने बचाव में कहा कि वह गवाह से पूछताछ नहीं करना चाहता और न ही शपथ पर गवाही देना चाहता है। वह निर्दोष है और उसे पिछले विवाद की रंजिश के चलते झूठी शिकायत में फंसाया गया है। आरोपी की ओर से वकील बी.जे. गिल ने दलील दी कि चूंकि आरोपी नाबालिग है, इसलिए उसकी पत्नी, मां और बच्चे की जिम्मेदारी उस पर है। कोई भी व्यक्ति आदतन अपराधी नहीं होता। ऐसे कारकों को ध्यान में रखते हुए सजा न्यूनतम होनी चाहिए। विशेष वकील एपीपी डी.जे. अभियोजन पक्ष की ओर से उपस्थित हुए। नारियल किसान ने तर्क दिया कि आरोपी की हत्या उसके माता-पिता की डांट के कारण उत्पन्न रंजिश के कारण की गई। समाज में एक उदाहरण स्थापित करने तथा अन्य अपराधियों को ऐसे गंभीर अपराध करने से रोकने के लिए अधिकतम सजा दी जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि जिरह के दौरान बचाव पक्ष द्वारा मृतक को लगी चोटों और मौत के कारण को स्पष्ट रूप से चुनौती नहीं दी गई। चिकित्सा अधिकारी द्वारा बताई गई चोटें मृतक की मृत्यु का कारण बनने के लिए पर्याप्त थीं। इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला गया कि मृत्यु पेट में चोट लगने के कारण रक्तस्राव और सदमे के कारण हुई। देवजीभाई सोलंकी की मौत प्राकृतिक नहीं बल्कि आपराधिक हत्या है। बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि अभियुक्त नशे में था, जिसे अभियोजक ने स्वीकार किया। बचाव पक्ष ने घटनास्थल पर अभियुक्त की उपस्थिति से इनकार नहीं किया। इस मामले में प्रत्यक्षदर्शी, शिकायतकर्ता, गवाह, डॉक्टर, पुलिस समेत 26 गवाह और पंचनामा, कपड़े, हथियार, एफएसएल समेत 35 दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए। दोनों पक्षों की दलीलों और साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई है।