प्राचीन परम्परा के साथ नैतिक, मूल्यनिष्ठ और कर्मठ शिक्षण द्वारा ही समाज का नवनिर्माण सम्भव : राज्यपाल आचार्य देवव्रत
विद्यार्थियों को अभ्यास द्वारा प्राप्त जानकारी को ज्ञान में परिवर्तित करना होगा: ऋषिकेश पटेल
विद्यार्थियों का ज्ञान समाज-राष्ट्र की एकता के साथ ही, संशोधन क्षेत्र में उपयोगी बने: प्रफुलभाई पानशेरिया
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज कहा कि प्राचीन परम्परा के साथ नैतिक, मूल्यनिष्ठ और कर्मठ शिक्षण द्वारा ही समाज का नवनिर्माण सम्भव है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने ‘विरासत भी विकास भी’ और ‘आध्यात्मिकता से आधुनिकता’ के मंत्र के साथ देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प किया है। प्रधानमंत्री जी के इस संकल्प को साकार करने के लिए युवाओं सहित नागरिक अपने अधिकार के साथ कर्तव्यों का पालन भी ईमानदारी से करके सहयोग दें। सरदार पटेल युनिवर्सिटी, वल्लभ विद्यानगर का 67वां दीक्षांत समारोह आज राज्यपाल एवं युनिवर्सिटी के कुलाधिपति आचार्य देवव्रत की उपस्थिति में आयोजित हुआ। इस दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ ही, उच्च एवं टेक्नीकल शिक्षण मंत्री ऋषिकेश भाई पटेल, शिक्षा राज्यमंत्री प्रफुलभाई पानशेरिया ने विभिन्न विद्याशाखाओं के 16,218 विद्यार्थियों को स्नातक और अनु-स्नातक की डिग्री तथा 100 तेजस्वी विद्यार्थियों को उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए स्वर्ण पदक अर्पित किए। राज्यपाल के करकमलों से सरदार पटेल युनिवर्सिटी द्वारा प्रथम बार डिग्रीधारकों को डीजी लॉकर में ऑनलाइन डिग्री प्रमाणपत्र उपलब्ध करवाए गए। राज्यपाल ने डिग्रीधारकों से राष्ट्र का जिम्मेदार नागरिक बनकर माता-पिता और गुरुजनों के प्रति अपना दायित्व निभाकर अपने ज्ञान और समझ का उपयोग समाज के गरीबतम व्यक्तियों के उत्थान के लिए करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हमारी ऋषि और गुरुकुल परम्परा में मानवीय जीवन मूल्यों, संस्कार, मानवता और आध्यात्मिकता का शिक्षण दिया जाता था। इतना ही नहीं, आध्यात्मिक और भौतिकवाद का शिक्षण प्राप्त करने के लिए विदेशों से भी लोग भारत आया करते थे और भारत विश्वगुरु के रूप में प्रस्थापित हुआ था। राज्यपाल ने आधुनिक युग में मानवता, परोपकार, राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार व्यवहार, धार्मिक परम्परा के साथ सत्य, ईमानदारी, प्रेम, करूणा और दया सहित मन और कर्म के साथ अंतरात्मा को पवित्रता दे, ऐसे शिक्षण की हिमायत की। उन्होंने इस अवसर पर डिग्रीधारकों को करियर का उच्चतम शिखर प्राप्त करने की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उच्च एवं टेक्नीकल शिक्षा मंत्री ऋषिकेश भाई पटेल ने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनके लिए सामाजिक जीवन के नये द्वार खुल रहे हैं। दीक्षांत मात्र शिक्षांत ना रहे, इसकी चिंता करके विद्यार्थियों को अभ्यास द्वारा प्राप्त जानकारी को ज्ञान में परिवर्तित करना होगा। उन्होंने कहा कि 20वीं सदी की हमारी कल्पनाएं 21वीं सदी में साकार हो रही है। विज्ञान और टेक्नोलॉजी के युग में भारत की इस 21वीं सदी की शुरुआत गुजरात से हुई है। गुजरात में 2001 से 21वीं सदी का आधार प्रशस्त करने का कार्य तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने किया। प्रधानमंत्री के संकल्प ‘विकसित भारत@2047’ को साकार होते देखने का सौभाग्य विद्यार्थियों को प्राप्त होगा। इसका उल्लेख करते हुए पटेल ने विद्यार्थियों को अपने ज्ञान-कौशल्य द्वारा राज्य-राष्ट्र के विकास में योगदान देकर विकसित भारत के निर्माण में सहयोगी होने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में शिक्षा राज्यमंत्री प्रफुलभाई पानशेरिया ने डिग्री हासिल करने वाले तमाम विद्यार्थियों को बधाई देते हुए प्राप्त ज्ञान को अंत्योदय तक पहुंचाने का अनुरोध किया। उन्होंने विद्यार्थियों को सरदार पटेल की सत्य विचारधारा के साथ आगे बढ़कर व्यसनों से दूर रहते हुए राष्ट्रहित के लिए कार्य करने की सीख दी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि विद्यार्थियों का ज्ञान समाज और राष्ट्र की एकता के साथ संशोधन क्षेत्र में भी उपयोगी साबित होगा। दीक्षांत समारोह के आरम्भ में सभी का स्वागत करते हुए युनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. निरंजन पटेल ने युनिवर्सिटी के कार्यं और उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल युनिवर्सिटी द्वारा सरदार साहेब की 150वीं जन्म जयंती पर वर्षभर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि सरदार पटेल युनिवर्सिटी द्वारा अब तक 3,90,766 विद्यार्थियों को विभिन्न विद्याशाखाओं की डिग्रियां प्रदान की गई हैं। कार्यक्रम के आरम्भ में महानुभावों ने सरदार वल्लभभाई पटेल और महात्मा गांधीजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पण की। इस अवसर पर कुल सचिव डॉ. भाईलाल भाई पटेल, अग्रणी राजेशभाई पटेल, पूर्व विधायक पंकजभाई पटेल, चारुतर विद्यामंडल के प्रमुख भीखाभाई पटेल, बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट, अकेडमिक काउंसिल के सदस्य, फैकल्टी डीन, विभिन्न कॉलेज के आचार्य, अध्यापक, कर्मचारी, विद्यार्थी और उनके अभिभावक उपस्थित रहे।