शिक्षा का अंतिम उद्देश्य राष्ट्र निर्माण होना चाहिए : राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी
वडोदरा
वडोदरा जिले के वाघोडिया स्थित डॉ. एन. जी. शाह सार्वजनिक हाईस्कूल ने अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले अमृत महोत्सव की शुरुआत की। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी ने छात्रों को नैतिक शिक्षा और प्राकृतिक खेती का संदेश दिया। अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि भारत की प्राचीन परंपरा में शिक्षा का विशेष महत्व रहा है। किसी भी व्यक्ति की सबसे बड़ी संपत्ति उसका ज्ञान है, जिसे कोई चुरा नहीं सकता। यह संपत्ति जितनी अधिक उपयोग की जाए, उतनी ही बढ़ती है और इसका बोझ भी महसूस नहीं होता। उन्होंने संस्कृत के विभिन्न श्लोकों का उल्लेख करते हुए कहा कि विद्या से विनम्रता आती है, विनम्रता से सरलता, सरलता से पात्रता, पात्रता से धन और धन से धर्म की प्राप्ति होती है। धर्म से जीवन में सुख और शांति आती है। इसलिए जीवन का अंतिम लक्ष्य धर्म होना चाहिए। विद्या ही जीवन की सच्ची पूंजी है। राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल डिग्री हासिल करना नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण होना चाहिए। एक शिक्षित बालक अपने परिवार का भविष्य संवार सकता है। परिवार का भविष्य सुधरने से समाज में परिवर्तन आता है। समाज में बदलाव से गांव और शहरों में सुधार होता है, और जब गांव उन्नति करते हैं, तब राष्ट्र निर्माण होता है। उन्होंने मोबाइल फोन और टेलीविजन के अंधाधुंध इस्तेमाल को लेकर चिंता व्यक्त की। राज्यपाल ने कहा कि छात्रों को अपने अध्ययन काल में मोबाइल और फिल्मी दुनिया की भ्रामक दुनिया से दूर रहना चाहिए। आज बच्चे अपना अधिकतर समय मोबाइल और टीवी में व्यर्थ कर देते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि वे मोबाइल और टीवी की लत से बचें। राज्यपाल ने अपने शिक्षकीय अनुभव साझा करते हुए कहा कि कक्षा 8 से 10 के दौरान बच्चों में शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। इस किशोरावस्था में भावनाओं के आधार पर नहीं, बल्कि बुद्धि के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। फिल्मों में दिल की बातें करके जो भ्रामक दुनिया दिखाई जाती है, उसमें बहकने के बजाय तर्कसंगत निर्णय लेना ही जीवन में सुख और कल्याणकारी साबित होगा। उन्होंने छात्रों को माता-पिता और शिक्षकों के साथ खुलकर संवाद करने की सलाह दी, जिससे उनके प्रश्नों का समाधान हो सके। राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रतजी ने किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के दुष्प्रभावों को लेकर चेताया। उन्होंने कहा कि इन रसायनों के कारण हमारी खाद्य श्रृंखला में ज़हर घुल रहा है। यहां तक कि कुछ रिपोर्टों में माताओं के दूध में भी कीटनाशकों की उपस्थिति दर्ज की गई है। इसके कारण छोटे बच्चों में भी कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां देखने को मिल रही हैं। रसायनों के कारण भूमि बंजर हो रही है और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याएं पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ दशक पहले तक खेती बिना रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के होती थी। लेकिन आज अधिक उत्पादन की लालसा में इनका अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है, जिससे मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है और उत्पाद जहरीले बन रहे हैं। भूजल स्तर भी तेजी से गिर रहा है। इसका समाधान केवल प्राकृतिक कृषि पद्धति में है। राज्यपाल ने किसानों से अपील की कि वे रासायनिक खेती को छोड़कर कम लागत वाली प्राकृतिक कृषि अपनाएं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्राकृतिक खेती से उत्पादन कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है। दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय के शोध में यह सिद्ध हो चुका है कि प्राकृतिक खेती से न केवल पैदावार बढ़ती है, बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी होती है। राज्यपाल ने स्कूल परिसर में प्राकृतिक कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, हालोल द्वारा विकसित मॉडल फार्म का दौरा किया और वहां वृक्षारोपण किया। इसके अलावा, उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। समारोह में उन्होंने विद्यालय के मेधावी छात्रों को सम्मानित किया और स्कूल की स्मारिका का विमोचन किया। श्री वाघोडिया युवक शिक्षण मंडल के मंत्री राकेशभाई काशीवाला ने कहा कि वर्ष 1951 में केवल 88 छात्रों के साथ शुरू हुए इस संस्थान में आज अमृत महोत्सव के अवसर पर 2,700 से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं, जहां उन्हें शिक्षा के साथ संस्कारों का भी ज्ञान दिया जा रहा है। वैष्णवाचार्य पंकजकुमार गोस्वामी ने अपने संबोधन में कहा कि छात्रों की शिक्षा में भारतीय संस्कृति, अनुशासन और नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति ऋषि और कृषि की संस्कृति है। आज भारत पुनः ऋषि परंपरा की प्राकृतिक कृषि को अपनाकर समृद्धि की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने किसानों से कदम के पेड़ लगाने की अपील भी की। इस अवसर पर ट्रस्टी मनोजभाई शाह, हर्षदभाई, प्राकृतिक कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. सी. के. टिंबड़िया, जिला कलेक्टर अनिल धामलिया, जिला विकास अधिकारी ममता हीरपरा, जिले के किसान, सखी मडल की सदस्याएं, अभिभावक और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।