श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, जेन्डर रिसोर्स, महिला और बाल विकास विभाग, गांधीनगर के संयुक्त उपक्रम में उच्च शिक्षा आयुक्त कार्यालय के समन्वय से 17 और 18 फरवरी, 2025 को महिलाओं के अधिकारों से संबंधित कानूनों (The PoSH Act 2013) और लैंगिक विकास-सामाजिक व्यवहार में बदलाव विषय पर एक दो दिवसीय सेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया। श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, जेन्डर रिसोर्स, महिला और बाल विकास विभाग, गांधीनगर के संयुक्त उपक्रम में आयोजित इस दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन 17 फरवरी, 2025 को 11:00 बजे हुआ था। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुकांत कुमार सेनापति, जेन्डर रिसोर्स सेंटर, गांधीनगर के अधिकारी महेंद्रभाई मकवाणा, विश्वविद्यालय के अनुस्नातक विभाग के अध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार झा, विश्वविद्यालय संचालित कॉलेज के प्रभारी आचार्य डॉ. पंकजकुमार रावल, जेन्डर रिसोर्स सेंटर के नोडल ऑफिसर और विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. आशाबेन माढक, गुणोत्कर्श वर्ष के प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. जानकीशरण आचार्य, कार्यशाला के संयोजक रेखाबेन राठोड़ और केतनकुमार काछेला सहित विश्वविद्यालय के अन्य अध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे। समारोह का शुभारंभ मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ. आशाबेन माढक ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि महेंद्रभाई मकवाणा ने अपने भाषण में कहा कि, “जेंडर एक बहुत ही संवेदनशील विषय है जो व्यक्ति के विकास, व्यवहार और रिश्तों से जुड़ा हुआ है। समय के साथ समाज और संस्कृति में बदलाव आ रहे हैं, इसलिए हमें भी अपने विचारों और व्यवहार में बदलाव लाना होगा। ‘SETU’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन इसलिए किया जाता है ताकि कॉलेज और विश्वविद्यालय के स्तर पर लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके।” डॉ. पंकजकुमार रावल ने कहा कि जब हम लोगों को धर्मग्रंथों के बारे में बताते हैं, तो हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आज लोग क्या सोचते हैं और उनकी समस्याएं क्या हैं। हमें धर्मग्रंथों के ज्ञान को लोगों की ज़िंदगी से जोड़कर समझाना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुकांत कुमार सेनापति ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा “हम एक महान संस्कृति वाले देश में पैदा हुए हैं और जब हमें देवभाषा (संस्कृत) में अध्ययन करने का अवसर मिला है, तो हमारे कर्तव्य और जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। हमें शास्त्रों को साथ रखते हुए वर्तमान समाज की मानसिकता को बदलने का प्रयास करना चाहिए।” अंत में, विश्वविद्यालय की छात्रा सीमा मकवाणा ने सभी का धन्यवाद दिया। पूरे उद्घाटन सत्र का संचालन वैशाली बारड़ और ईशा शुक्ला ने किया था।