नई दिल्ली। शेख हसीना के देश छोड़ने और मोहम्मद यूनुस के सत्ता में आने के बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते तनाव भरे हैं। हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर भारत बेहद मुखर है। वहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत से रिश्ते बिगड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।हाल ही में ओमान में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात की थी। मगर बांग्लादेश सुधर नहीं रहा है। मुलाकात से लगभग एक हफ्ते बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने बांग्लादेश के शत्रुतापूर्ण व्यवहार का मुद्दा उठाया।विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश को तय करना होगा कि वह हमारे साथ कैसा रिश्ता रखना चाहते हैं? बांग्लादेश के साथ हमारा लंबा और बेहद खास इतिहास 1971 से चला आ रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश यह नहीं कह सकता है कि वह भारत से अच्छे रिश्ते चाहता है और दूसरी तरफ वहां होने वाली घर घटना का दोष भारत पर मढ़ता रहे। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार में से कोई हर दिन खड़े होकर हर चीज के लिए भारत को दोषी नहीं ठहरा सकता है। इस संबंध में फैसला बांग्लादेश को लेना है। विदेश मंत्री ने कहा कि अगर आप रिपोर्ट देखें तो कई चीजें बेहद हास्यास्पद हैं।विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में आने वाली दिक्कत के पीछे दो पहलू हैं। पहला अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली सांप्रदायिक हिंसा है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक के खिलाफ हिंसा की बाढ़ आई है। निश्चित तौर पर इसने हमारी सोच को प्रभावित किया है। यह एक ऐसा मामला है, जिस पर हमें बोलना चाहिए। हमने यह किया भी। विदेश मंत्री ने कहा कि दूसरा पहली बांग्लादेश की राजनीति है। अब उन्हें यह तय करना होगा कि वे हमारे साथ किस तरह का रिश्ता रखना चाहते हैं?
संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में महिला शांतिरक्षकों की भूमिका अद्वितीय:जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में महिला शांतिरक्षकों की तैनाती बढ़ाने पर बल देते हुए आज कहा कि महिला शांतिरक्षकों की स्थानीय समुदायों तक अद्वितीय पहुंच होती है और संघर्ष क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोल मॉडल के रूप में कार्य करती हैं जिससे शांति अभियानों की प्रभावशीलता बढ़ती है। डॉ. जयशंकर ने यहां विदेश मंत्रालय द्वारा रक्षा मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (सीयूएनपीके) के सहयोग से ग्लोबल साउथ की महिला शांति सैनिकों के लिए आयोजित पहले सम्मेलन को संबोधित किया। इस दो दिवसीय सम्मेलन का समापन मंगलवार को रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ के अभिभाषण के साथ होगा। डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में अपने योगदान और सहयोग पर गर्व है, यह प्रतिबद्धता दशकों पुरानी है। 1950 के दशक से, भारत ने 50 से अधिक मिशनों में दो लाख 90 हजार से अधिक शांति सैनिकों का योगदान दिया है। वास्तव में, भारत आज भी सबसे बड़ा सैन्य योगदान देने वाला देश बना हुआ है। वर्तमान में, पांच हजार से अधिक भारतीय शांतिरक्षक ग्यारह सक्रिय मिशनों में से नौ में तैनात हैं जहां चुनौतीपूर्ण और शत्रुतापूर्ण वातावरण है। इनमें एक ही फोकस है: वैश्विक शांति और सुरक्षा की उन्नति।