7 साल की बच्ची ने बयान दिया, मां के हत्यारे पिता को उम्रकैद की सजा दिलाई
नई दिल्ली। सूप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गवाह की कोई उम्र सीमा नहीं होती है। अगर कोई बच्चा गवाह देने में सक्षम है तो उसकी गवाही उतनी ही मान्य होगी, जितनी किसी और गवाह की।दरअसल, कोर्ट ने 7 साल की बच्ची के गवाह के आधार पर हत्यारे पति को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। बच्ची ने अपने पिता को मां की हत्या करते देखा था।जस्टिस जे.बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें आरोपी को बरी कर दिया था। साथ ही लड़की का बयान खारिज कर दिया था।15 जुलाई 2003 का है। मध्य प्रदेश के सिंघराई गांव में पति बलवीर सिंह ने पत्नी बीरेंद्र कुमारी की हत्या की थी। बलवीर सिंह पर आरोप था कि उसने अपनी को गला घोंटकर कर मार दिया और अपनी बहन की मदद से आधी रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया।अंतिम संस्कार की जानकारी मृतक महिला के रिश्तेदार भूरा सिंह को लग गई, जिसके बाद घटना की शिकायत पुलिस में की। इस घटना की सबसे बड़ी गवाह मृतक की बेटी रानी थी। उसने कोर्ट को बताया कि उसके पिता ने मां को गला घोंटकर मारा था।