बंगलूरू। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दरअसल डीआरडीओ ने तेजस लड़ाकू विमान में उड़ान के दौरान पायलटों के लिए इंटीग्रेटेड लाइफ सपोर्ट सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि लाइफ सपोर्ट सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह युद्ध के दौरान पायलट्स को बेहतर तरीके से सांस लेने में मदद करेगा। इसकी मदद से पारंपरिक सिलेंडर आधारित ऑक्सीजन पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। मंगलवार को इस लाइफ सपोर्ट सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उचित संशोधनों के साथ, इस लाइफ सपोर्ट सिस्टम को मिग-29के और अन्य लड़ाकू विमानों में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। डीआरडीओ की बंगलूरू स्थित प्रयोगशाला, रक्षा जैव-इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रो मेडिकल प्रयोगशाला ने मिलकर 4 मार्च को एलसीए तेजस विमान के लिए स्वदेशी ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जनरेटिंग सिस्टम (ओबीओजीएस) तकनीक पर आधारित एकीकृत जीवन रक्षक प्रणाली (आईएलएसएस) का ऊंचाई में सफलतापूर्वक परीक्षण किया। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एलसीए-प्रोटोटाइप वाहन-3 विमान पर आईएलएसएस का परीक्षण किया गया। परीक्षण के वक्त विमान समुद्र तल से 50,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था। मंत्रालय ने कहा कि सिस्टम ने सभी तय मापदंडों को सफलतापूर्वक पूरा किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सफल परीक्षण पर डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और भागीदारी उद्योगों को उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए बधाई दी। राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि यह विकास अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है और ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
आईएलएसएस में 90 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है, जो एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता को और आगे बढ़ाती है।